राजनांदगांव : सड़क ने दिलाई नक्सल खौफ से ‘आजादी’,9 बेस कैंप खोले गए, छह साल में कोई भी माओवादी वारदात नहीं
तस्वीर राजनांदगांव की है। छुईखदान से बकरकट्टा मार्ग पर यह सड़क बन जाने से नक्सलियों का छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश का कॉरिडोर टूट गया है। अहम बात ये है कि 2017 के बाद से यहां कोई नक्सल वारदात नहीं हुई।
पुलिस ने नौ बेस कैंप खोलकर विकास के रास्ते खोले। तीन पहाड़ियों को काटकर सड़क का निर्माण 2021 में पूरा हुआ था। यहां ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। अफसरों की मानें तो बैतालरानी घाटी से मंडिप खोल गुफा तक को विकसित किया जा सकता है। दोनों के बीच महज 19 किमी की दूरी है।
आखिरी बार 2017 में सड़क निर्माण के दौरान ही इस इलाके में नक्सलियों और पुलिस जवानों के बीच मुठभेड़ हुई थी। तब एक एसआई समेत दो जवान शहीद हुए थे। उसके बाद से यहां नक्सलियों का मूवमेंट पूरी तरह से खत्म हो गया। अब सही मायने में इस क्षेत्र को नक्सल खौफ से आजादी मिल चुकी है।
ये फायदे होंगे
यह रास्ता कुम्हरवाड़ा से साल्हेवारा और वहां से कान्हा किसली निकलता है। पहाड़ पर डवलपमेंट से पर्यटक यहां आएंगे। मंडिप खोल में भी बड़ी संख्या में लोग जाते हैं। स्थानीय लोगों को स्वरोजगार भी मिलेगा।
यहां ईको टूरिज्म का भरपूर स्कोप है। पहाड़ की ऊंचाई करीब 700 मीटर है, जहां से रास्ते बनाए गए हैं। यहां से मंडिप खोल गुफा तक डवलपमेंट का प्लान बनाया जाएगा।
-आलोक तिवारी, डीएफओ, खैरागढ़
इलाके का हर गांव सड़क से जुड़ चुका हे। जगह-जगह आईटीबीपी के बेस कैंप स्थापित हैं। ईको टूरिज्म के लिए प्रयास होने चाहिए।