राजनांदगांव : पंडित प्रदीप मिश्रा ने बनाई मीडिया से दूरी, आयोजन में पास बिक्री को लेकर श्रद्धालुओं में आक्रोश, संस्कारधानी में यह परंपरा घातक …..
राजनांदगांव में प्रदीप मिश्रा के आयोजन में पास बिक्री घोटाला, श्रद्धालुओं में आक्रोश
राजनांदगांव। प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के आयोजन में टिकट बिक्री का मामला सामने आया है। आयोजन के आखिरी दिन का पास 2000 रुपये में बेचा गया, जिससे श्रद्धालुओं में आक्रोश है। श्रद्धालुओं को पहले सर्किट हाउस और फिर फुरसत के पल स्थित एक व्यक्ति के निवास पर बुलाया गया।
आयोजन समिति के खिलाफ कार्यवाही की मांग जोर पकड़ रही है। इस मामले में एक ऑडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें एक व्यक्ति द्वारा यह कह रहे हैं कि 2000 रुपये में पास फुरसत के पल स्थित एक व्यक्ति के निवास से मिलेगा। प्रशासन पर भी आयोजनकर्ताओं को खुली छूट देने का आरोप है, और इसकी संलिप्तता स्पष्ट दिख रही है। यह प्रश्न उठता है कि प्रशासन किसके दबाव में काम कर रहा है।
इस बार आयोजन स्थल पर कोई भी VIP नहीं पहुंचा। पंडित प्रदीप मिश्रा ने भी मीडिया से दूरी बनाए रखी, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। आयोजन समिति ने डुप्लीकेट पास बनाने वालों को अभयदान दिया? जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या आयोजन समिति के लोग भी इसमें शामिल थे?
भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी दरकिनार किया गया। इस पूरे मामले से कथा एक व्यापार बन गई है, जहाँ दो हजार रुपये में पास बेचे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर पास बिक्री का ऑडियो/विडियों वायरल होने के बाद, श्रद्धालुओं में नाराजगी और अविश्वास की भावना बढ़ गई है।
सरकारी विश्राम गृह बना अवैध टिकट बिक्री केन्द्र ?
पण्डित प्रदीप मिश्रा के प्रवचन सुनने उनके भक्त इतने उतावले हो गये है कि उन्हें जैसे ही पता चलता है कि टिकट फलाने जगह मिल रही है वे दौड़ कर टिकट लेने पहुँच जाते है। कुछ लोगों को जब सरकारी विश्राम गृह में टिकट बेचने की जानकारी लगी महिलाएं और पुरुष विश्राम गृह पहुँच गये जहां खुलेआम कुछ लोगों द्वारा दो दो हजार रुपये मे टिकट बेची जा रही थी जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया में चल रहा है। सवाल यह है कि सरकारी विश्राम गृह में टिकट बेचने की परमिशन किसने दी किसके कहने पर वहाँ सैकड़ों लोग टिकट लेने पहुँचे अनेकों ने टिकट भी खरीदी किया टिकट लेते पैसा लेते भी वीडियो में साफ दिखायी दे रहा है
संस्कारधानी में यह परंपरा घातक
संस्कारधानी में धार्मिक कथाओं के नाम पर टिकट की बिक्री की नई परंपरा उभर रही है। इस प्रथा से जहां एक ओर धार्मिक आयोजनों का व्यावसायीकरण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर यह परंपरा समाज के लिए घातक साबित हो सकती है। विशेषज्ञों और समाजसेवियों का कहना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में व्यावसायिकता से इनकी पवित्रता और उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे इस परंपरा के नकारात्मक प्रभावों पर विचार करें और इसे रोकने के उपाय खोजें।