छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन-तिलहन फसल बोने की अपील

जल सिंचाई परियोजना के माध्यम से केवल दलहनी, तिलहनी फसलों के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा

    राजनांदगांव – जिले में खरीफ फसलों की कटाई जोरों-शोरो से चल रही है जिसके बाद गेंहूँ, चना, मसूर, सरसों आदि रबी फसलों की बोआई की जानी है जिसके लिए विभिन्न रबी फसलों की बोआई का कार्यक्रम तैयार किया गया है। जिसमें जिले में संचालित जल सिंचाई परियोजनाओं में जल की उपलब्धता के आधार पर दलहनी एवं तिलहनी फसलों की बोनी किया जाना है इस वर्ष जल सिंचाई परियोजना के माध्यम से केवल दलहनी एवं तिलहनी फसलों के लिये सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराया जायेगा ग्रीष्मकालीन धान उत्पादक किसानों को परियोजना से सिंचाई उपलब्ध नहीं किया जाना है क्यांेकि ग्रीष्मकालीन धान में अत्यधिक सिंचाई जल एवं वातावरण में विपरित प्रभाव पड़ता है। वहीं ग्रीष्मकालीन धान उत्पादन लेने में लगने वाले सिंचाई जल की मात्रा से दोगुने दलहनी एवं तिलहनी फसलों की सिंचाई कर कम लागत में अधिक उत्पादन एवं लाभ प्राप्त किया जा सकता है। किसान ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहनी फसलंे जैसे- चना, तिवड़ा, मटर, उड़द, मूंग, कुल्थी तथा तिलहनी फसलें जैसे- अलसी, सुर्यमुखी, कुसुम, सरसों एवं अनाज वाली फसलों में मक्का फसल का आसानी से सफलता पूर्वक उत्पादन ले सकते है।
     जिले में संचालित विभिन्न मध्यम सिंचाई परियोजनावार- रूसे जलाशय परियोजना, पिपरिया जलाशय, मोंगरा जलाशय, सूखानाला जलाशय, घुमरिया नाला बैराज के माध्यम से कुल रकबा 3020 हेक्टेयर में रबी दलहनी एवं तिलहनी फसलों के लिए सिंचाई जल दिये जाने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसी प्रकार लघु सिंचाई परियोजना से 1000 हेक्टेयर रकबा में सिंचाई जल उपलब्ध कराया जाना है।
     धान के 1 किलो चावल उत्पादन के लिए 500 लीटर सिंचाई जल की आवश्यकता होती है जो किसी भी फसल में लगने वाली जल मांग की तुलना में बहुत ही अधिक है ग्रीष्मकालीन धान उत्पादक किसान ज्यादातर नलकूप के माध्यम से सिंचाई करते है जिससे भू-जलस्तर में गिरावट होने से जल निस्तारी आपूर्ति की समस्या निर्मित हो सकती है। आगामी दिनों में भू-जलस्तर में गिरावट होने पर ग्रीष्मकालीन धान उत्पादक किसानों की नलकूप विद्युत कटौती भी की जा सकती है।
    रबी 2020-21 में विभिन्न फसलों की बीज मांग की गई है जिसमें दलहन फसल में 10980 क्विंटल तथा तिलहनी फसलों में 980 क्विंटल की बीज मांग की गई है जिनमें से गेंहूँ 986 क्विंटल, चना 2805 क्विंटल तथा अन्य फसलें 100 क्विंटल बीज सहकारी समितियों में भण्डारित की गई है साथ ही दलहनी, तिलहनी फसलों के क्षेत्र विस्तार के लिए कृषि विभाग में संचालित योजनाओं के तहत प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। किसानों से आग्रह है कि ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य दलहनी, तिलहनी एवं मक्का फसल की बोनी करें।

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