advertisement
Uncategorized

फालुन दाफा – दुनियाभर में लोकप्रिय किन्तु चीन में शोषण का शिकार


20 जुलाई को फालुन दाफा के चीन में दमन के तेईस वर्ष – जानिये भारत के लिए यह प्रासंगिक क्यों है
फालुन दाफा साधना पद्धति का अभ्यास विश्व में 100 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां 20 जुलाई 1999 से इसका दमन किया जा रहा है, जो आज तक जारी है। 20 जुलाई के दिन को फालुन दाफा अभ्यासी दुनियाभर में विरोध दिवस के रूप में मनाते हैं और शांतिपूर्वक प्रदर्शन और कैंडल लाइट विजिल द्वारा लोगों को चीन में हो रहे बर्बर दमन के बारे में अवगत कराते हैं।
फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है) बुद्ध और ताओ विचारधारा पर आधारित एक प्राचीन साधना अभ्यास है जिसे श्री ली होंगज़ी द्वारा 1992 में चीन में सार्वजनिक किया गया। फालुन दाफा और इसके संस्थापक, श्री ली होंगज़ी को दुनियाभर में 3000 से अधिक पुरस्कारों और प्रशस्तिपत्रों से नवाज़ा गया है।
चीन में फालुन गोंग का दमन
इसके स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शिक्षाओं के कारण फालुन गोंग चीन में इतना लोकप्रिय हुआ कि 1999 तक करीब 7 से 10 करोड़ लोग इसका अभ्यास करने लगे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मेम्बरशिप उस समय 6 करोड़ ही थी। चीनी कम्युनिस्ट शासकों ने फालुन गोंग की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसे अपनी प्रभुसत्ता के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को इस पर पाबंदी लगा कर कुछ ही महीनों में इसे जड़ से उखाड़ देने की मुहीम चला दी, जो आज तक जारी है।
चीन में अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण अपरा
यह अविश्वसनीय लगता है, किन्तु चीन में अंगों के प्रत्यारोपण के लिए अंग न केवल मृत्युदण्ड प्राप्त कैदियों से आते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में कैद फालुन गोंग अभ्यासियों से आते हैं। स्वतंत्र जाँच द्वारा यह प्रकाश में आया है कि चीनी शासन, सरकारी अस्पतालों की मिलीभगत से, कैदियों के अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण के अपराध में संग्लित है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए देखें: www.endtransplantabuse.org
भारत में भी 20 जुलाई को मनाया जाएगा विरोध दिवस
दुनिया भर के फालुन दाफा अभ्यासियों की भांति भारत के फालुन दाफा अभ्यासी भी 20 जुलाई को शांतिपूर्वक प्रदर्शन और कैंडल लाइट विजिल का आयोजन करते हैं। सोशल और प्रिंट मीडिया द्वारा भी चीन में हो रहे दमन के बारे में लोगों को अवगत करा रहे हैं।
यह भारत के लिए प्रासंगिक क्यों है?
पिछले कुछ समय से भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। भारत पर दबाव बनाने के लिये चीन मसूद अजहर समर्थन, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख बॉर्डर विवाद आदि का इस्तेमाल करता रहा है। भारत के कड़े रुख और चीनी सामान के बायकाट की मुहीम ने चीन को भारत की ताकत का अंदाजा लगा दिया है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की धारणाएं और नीतियां उन सभी चीजों का खंडन करती हैं जिनका भारत जैसी एक प्राचीन संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधित्व करता है। भारत के पास चीन को सिखाने के लिये बहुत कुछ है। भारत को चीन में तिब्बत बोद्ध, वीगर मुस्लिम और फालुन गोंग पर हो रहे घोर मानवाधिकार अपराधों की निंदा करनी चाहिए। यही सोच भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिला सकती है।
भारत में सन 2000 से फालुन दाफा का अभ्यास सभी प्रमुख शहरों में किया जा रहा है। यदि आप भी इस अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.learnfalungong.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। फालुन दाफा के बारे में अधिक अधिक जानकारी आप www.falundafa.org पर पा सकते हैं।

advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button