किसानों की आवाज हूं, हां मैं किसानों के साथ हूं…: डॉ. राजकुमार मालवीय
डॉ. मालवीय ने कहा, 'जैसा किसान चाहेंगे, वैसा ही होगा'
आष्टा
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) के प्रस्तावित एथेन क्रैकर प्रोजेक्ट के संबंध में बागेर, बापचा, भंवरी, अरनिया दाऊद, भंवरा, अरनिया राम, भटोनी आदि गांवों के किसानों के बीच भाजपा नेता डॉ. राजकुमार मालवीय पहुंचे। सभी किसानों ने एक ही सुर में कहा कि हमारी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। न तो शासकीय और ना ही निजी भूमि पर इस प्रोजेक्ट को नहीं लगने देंगे। सामाजिक कार्यकर्ता और भाजपा नेता डॉ. राजकुमार मालवीय का कहना है कि किसान हमारे देश के स्तंभ हैं। वे जीवन भर देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
खेत ही नहीं होंगे तो क्या खाद्यान्न का उत्पादन आसमान में करोगे? और हां, कृषि मनुष्य का सबसे स्वास्थ्यप्रद, सबसे उपयोगी और सबसे महान रोजगार है। किसान गेल के रोजगार को नहीं करना चाहते। ये बात याद रखनी होगी कि अगर किसान समृद्ध है, तो देश भी समृद्ध है। कृषि हमारे भारत का सबसे बुद्धिमानी भरा काम है क्योंकि यही वास्तविक धन, अच्छे नैतिक मूल्यों और खुशी में सबसे अधिक योगदान देता है। वाकई किसान एक जादूगर है जो कीचड़ से पैसे पैदा करता है और नि:संदेह किसान ही हमारे राष्ट्रीय खजाने हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन के अधिकारी समय रहते अपने इस गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) के प्रस्तावित एथेन क्रैकर प्रोजेक्ट पर किसानों के हित में निर्णय लें और इस प्लांट को गांव/शहर से बाहर दूर लगाएं। बावजूद इसके प्रशासन के अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो उचित प्लेटफॉर्म पर किसानों की आवाज पहुंचाऊंगा। आष्टा मेरी जान है, जैसा किसान चाहेंगे, वैसा ही होगा। गेल का प्लांट आष्टा में नहीं लगने दूंगा, इसके लिए हर हद तक जाऊंगा। किसानों की भूमि प्रशासन के अधिकारी नहीं छिन सकते। किसानों का कहना है गेल में मजदूरी करने की अपेक्षा अपने खेत पर रहना पसंद करेंगे। ग्राम बागेर के बोंदर सिंह पंच ने कहा कि हमारी कृषि भूमि इस प्लांट के लगने से बंजर हो जायेगी। यह प्लांट हमारे क्षेत्र में नहीं लगने देंगे। सोसायटी चैयरमेन अर्जुन ठाकुर का कहना है कि हमारे गांव के प्रत्येक किसान के पास लगभग दो से ढाई बीघा जमीन ही है और यह कृषि भूमि पैतृक है, इससे हमारा जुड़ाव है। यह प्लांट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी उत्पन्न करेगा।
वीरेंद्र भाटी उप सरपंच कहते हैं कि भोले-भाले किसानों की भूमि सरकार को अधिग्रहित नहीं करना चाहिए। पूर्व सरपंच मदन सिंह ठाकुर का कहना है कि हम पर अनावश्यक दबाव पैदा किया जा रहा है। इस दबाव और तनाव के कारण हमें डर है कि कोई गांव वाला किसी प्रकार का गलत कदम ना उठा ले। ग्रामीण मोती सिंह भाटी का डर यह है कि गंभीर बीमारी पैदा करने का प्लांट आखिर क्यों खोला जा रहा है? ग्राम बापचा के गंगाराम ठाकुर नेताजी ने बताया कि ऐसे प्लांट के कारण आंखों की गंभीर बीमारियां होंगी। शिक्षक वीरेंद्र ठाकुर ने गेल का यह प्लांट खुल जाने के बाद जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और भूमि के बंजर हो जाने की बात कही। अनार सिंह और मानसिंह ठाकुर का कहना है कि ज्यादातर छोटे किसान हैं जिनका भरण पोषण उनकी कृषि भूमि कर रही है। भूमि अधिग्रहित होने के बाद हमारे खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।
ग्राम खानदौरापुर (भंवरी) के हेमराज सिंह परमार ने बताया कि प्रशासन पुलिस बल को लेकर जोर जबरदस्ती से हमारी भूमि का अधिग्रहण करना चाह रही है। सभी किसान चिंतित हैं और परेशान हैं, उनमें भारी असंतोष है। अरनिया दाऊद गांव के दलीप सिंह विश्वकर्मा ने कहा कि ना तो हमें सरकारी मुआवजा चाहिए ना ही किसी प्रकार का प्लांट में रोजगार। हम लघु किसान है। किसी भी हालत में गेल के लिए जमीन नहीं देना चाहते हैं। ग्रामीण देवेंद्र परमाल ने बताया कि हमारी खेती की भूमि से आजीविका चल रही है, हमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी का गुजारा यह जमीन कर देगी। हमें रोजगार की आवश्यकता नहीं है। हेमराज मालवीय कहते हैं कि हम हमारी कृषि भूमि से खुश है और हमारा जीवन यापन खुशहाल चल रहा है। ग्रामीण बाबूलाल परमाल गेल इंडिया लिमिटेड प्लांट का विरोध जताते हुए कहते हैं कि पूरे सीहोर जिले में ही यह प्लांट नहीं लगना चाहिए।
ग्रामीण मनोज शर्मा ने बताया कि हम किसानों के पास कमाने की व्यवस्था है और हम आजीविका चलाने के लिए सक्षम है। बाप-दादा के जमाने से इस भूमि पर रह रहे हैं। वही सुरेश श्रीवास्तव का कहना है कि यह जमीन पैतृक और पुश्तैनी है। हम सभी गेल का विरोध करते हैं। भंवरा निवासी अशोक जैन का मानना है कि गेल के प्लांट से जहरीली गैसें वातावरण में फैलेगी। जहरीली गैसों वाले गेल के प्लांट का आष्टा तहसील का प्रत्येक गांव विरोध करेगा। प्रशासन के आला अफसर किसानों के बीच जाकर उनकी आशंकाओं, चिंताओं और डर का समाधान करें।