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छत्तीसगढ़धर्म-कर्मराजनांदगांव जिला

नवरात्रि 2020: कौन हैं स्कंदमाता? जानें इनकी महिमा और पूजा का महत्व

स्कंदमाता की गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं, इसलिए इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है.
नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इनको स्कन्दमाता कहा जाता है. यह माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं, इसलिए इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं, इसलिए इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है. तंत्र साधना में माता का सम्बन्ध विशुद्ध चक्र से है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बृहस्पति नामक ग्रह से है.
स्कंदमाता की पूजा से क्या विशेष लाभ
स्कंदमाता की पूजा से संतान की प्राप्ति सरलता से हो सकती है. इसके अलावा अगर संतान की तरफ से कोई कष्ट है तो उसका भी अंत हो सकता है. स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें तथा पीली चीजों का भोग लगाएं. अगर पीले वस्त्र धारण किये जाएं तो पूजा के परिणाम अति शुभ होंगे. इसके बाद देवी से प्रार्थना करें.
विशुद्ध चक्र के कमजोर होने के परिणाम
विशुद्ध चक्र कंठ के ठीक पीछे स्थित होता है. इसके कमजोर होने से वाणी की शक्ति कमजोर हो जाती है. इसके कारण हकलाहट और गूंगेपन की समस्या भी होती है. इससे कान नाक गले की समस्या भी हो सकती है. इसके कमजोर होने से व्यक्ति सिद्धियां और शक्तियां नहीं पा सकता है.
पांचवें दिन विशुद्ध चक्र को करें मजबूत

  • रात्रि के समय देवी के समक्ष आसन पर बैठें
  • एक घी का दीपक जलाएं
  • देवी को रक्त चन्दन का तिलक लगाएं, वही तिलक अपने कंठ पर भी लगाएं
  • इसके बाद विशुद्ध चक्र पर ज्योति या बिंदु का ध्यान करें
  • इसके बाद माँ के मंत्र का 108 बार जप करें
  • नियमित रूप से कंठ पर लाल चन्दन का तिलक लगाते रहें
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