छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

CG : धान के बदले कम पानी की उपयोग वाली फसलों को बढ़ावा देने की जरूरत

राजनांदगांव। छोटे-छोटे कदमों से एक बड़े परिवर्तन का आगाज होता है। जल संरक्षण की दिशा में जिला प्रशासन की ओर से मिशन जल रक्षा अंतर्गत कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। भीषण गर्मी, बढ़ते हुए तापमान, ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के कारण भू-जल का स्तर तेजी से घटने लगा है। राजनांदगांव जिले में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट अनुसार 3 ब्लॉक राजनांदगांव, डोंगरगांव एवं डोंगरगढ़ अपने जल स्तर के परसेमी क्रिटीकल जोन अर्थात् गंभीरता के स्तर में आ चुके हैं।

जिले के 85 प्रतिशत भू-जल का उपयोग अभी तक सिंचाई के लिए किया जा चुका है। जल का इतना अधिक दोहन भविष्य के लिए जल संकट की एक दस्तक है। समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो इसके दुष्परिणाम जल संकट के रूप में सामने आएगा।

13 प्रतिशत घरेलू उपयोग के लिए एवं 2 प्रतिशत उद्योगों के लिए किया जा रहा है। प्रदेश में राजनांदगांव जिला सर्वाधिक भू-जल का उपयोग वाले जिलों में से एक है। जिले का औसतन वर्षा माप 1208 मि.मी. के लगभग है तथा सिंचाई के लिए मूल रूप से 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र बोर एवं ट्यूबवेल पर निर्भर है। इन्हीं बातों के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण की दिशा में प्रभावी पहल की गई है।

इसके लिए जिले के नागरिकों का जल संरक्षण के प्रति सजगता और जुनून जरूरी है, ताकि समय रहते इस समस्या का समाधान हो सके। कलेक्टर  संजय अग्रवाल के नेतृत्व तथा जिला पंचायत सीईओ  सुरूचि सिंह के निर्देशानुसार जल संरक्षण की दिशा में व्यापक पैमाने पर कार्य किया जा रहा है। जिला प्रशासन की टीम उत्साह, ऊर्जा एवं प्रतिबद्धतापूर्वक इसके लिए कार्य कर रही है।

इन सभी आंकड़ों को देखते हुये भविष्य में बढ़ते पानी की समस्या, बढ़ता हुआ तापमान एवं घटते भू-जल स्तर में सुधार हेतु जिला प्रशासन राजनांदगांव द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हंै, जिसमें मिशन जल रक्षा अंतर्गत जिले के सम्पूर्ण क्षेत्रों में माइक्रो लेवल पर प्लानिंग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये ओपन सोर्सेज के नक्शों का तथ्यात्मक आंकलन करते हुये जीआईएस आधारित योजना तैयार की गई है।

जिसके अंतर्गत सर्वप्रथम किसी भी क्षेत्र में कार्य करने के लिए आवश्यक शासकीय भूमि का आंकलन अनिवार्य होता है, जिस हेतु भुईयां सॉफ्टवेयर के माध्यम से ग्राम पंचायतों के शासकीय भूमि का नक्शा निकाल कर भूमि को चिन्हांकित किया गया। जिसके पश्चात भुईयां मैप पर कंटूर मैप एवं टोपोग्राफी मैप सुपर इंपोज करते हुये ग्राम पंचायतों की ऊंची पहाड़ी वाली क्षेत्रों एवं लो-लाईन वाले क्षेत्रों का चिन्हांकित करते हुए नक्शा तैयार किया गया। सामान्य रूप से इस बात को समझा जा सकता है, कि पहाड़ी क्षेत्रों में पानी का रूकना संभव नहीं होता इस हेतु उन क्षेत्रों में भू-जल संवर्धन वाले रिचार्ज संरचनाओं की योजना तैयार की गई तथा लो लाईन अर्थात् पानी के जमाव वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण वाले संरचनाओं की योजना तैयार की गई।

जिसके पश्चात जिले का जियोलॉजी मैप तैयार करते हुए जिले के विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार के खनिज किन क्षेत्रों में पाये जाते हैं, ऐसे खनिज क्षेत्र जो पानी को ज्यादा से ज्यादा रिचार्ज कर सके की जानकारी निकाली गई तथा सरफेस एवं सबसरफेस लेवल पर पानी के रिचार्ज के संबंध में आंकलन किया गया।

जिले का ड्रेनेज मैप तैयार करते हुये पानी के बहाव एवं पाथ की जानकारी एकत्रित की गई तथा इस नक्शे को कंटूर मैप, भुईयां मैप एवं जियोलॉजी मैप पर सुपर इंपोस (एक के ऊपर एक रखते हुये) करते हुये जिलेे के ड्रेनेज पैटर्न का डाटा तैयार किया गया। तत्पश्चात भुवन पोर्टल के माध्यम से जिले का लिनियामेंट फ्रैक्चर जोन मैप निकालकर ऐसे स्थल जहां से लिनियामेंट गुजरता हो को चिन्हांकित किया गया अर्थात ऐसे क्षेत्र जहां जमीन के नीचे ऐसी गैप उपलब्ध है, जहां से पानी का ज्यादा से ज्यादा रिचार्ज किया जा सकता है को ग्राम पंचायत के मैप पर अंकित किया गया। जिसके पश्चात संरचनाओं की पुख्ता लोकेशन की जानकारी के साथ निर्माण कार्यों के लिए योजनाबद्ध तरीके से संरचनाएं तैयार किये जाने हेतु जानकारी तैयार की गई।

जिसके साथ-साथ ग्राम पंचायतों में पूर्व से निर्मित समस्त जल संरक्षण संवर्धन संबंधित संरचनाओं को लोकेशन के साथ जियोटैग करते हुये नक्शा तैयार किया गया। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड रायपुर एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर से योजना के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुये चरणबद्ध तरीके से किये जा रहे कार्यों का प्रस्तुतिकरण किया गया। जिस पर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड रायपुर एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर द्वारा इस वैज्ञानिक जीआईएस पद्धति को सही बताते हुये आगे सहयोग एवं मार्गदर्शन हेतु सहमति व्यक्त की गई।

जिले में अब तक मिशन जल रक्षा अंतर्गत 2250 से अधिक मिनी परकोलेशन टैंक का निर्माण,ढाई लाख से अधिक स्ट्रैगर ट्रेंच का निर्माण, 5349 से अधिक पुराने जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं की जियो टैगिंग, 981 सीसीटी, 100 से अधिक गैबियन स्ट्रक्चर, 800 से अधिक एलबीसीडी, 564 से अधिक ड्रेनेज नेटवर्क, 3000 से अधिक लीचपिट, 20000 से अधिक सोकपिट का निर्माण किया गया है। कार्य योजना के तहत कार्य निरंतर संचालित है, जिसमें जिले में समस्त विभागों से अभिसरण के तहत कार्य करते हुए जिले के जल स्तर वृद्धि में बेहतर प्रयास किये जा रहे हैं। समस्त आंकड़ों, नक्शों, रिपोर्ट एवं फील्ड सर्वे केे आंकलन से यह बात निकल कर आई है, कि जब तक कम से कम पानी के उपयोग वाली फसलों को बढ़ावा नहीं दिया जायेगा तथा द्वितीय फसल के रूप में धान को छोड़ अन्य फसलों पर जोर नहीं दिया जाएगा तब तक पानी की आने वाली समस्या से आसानी से निजात पाना आसान नहीं होगा।

जिसके अगली कड़ी के रूप में जिला प्रशासन द्वारा किसानों, कृषि उद्योग से संबंधित उद्योगपतियों, कृषि उत्पादन संगठन, सीएलएफ एवं कृषि संबंधित अन्य व्यक्तियों को आमंत्रित कर एग्रीकल्चर मीट का आयोजन किया गया। जिसमें राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी एवं खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई तीनों ही जिले के लोग सम्मिलित हुये। कार्यक्रम अंतर्गत कृषि विभाग एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा धान के बदले अन्य फसलों एवं उद्यानिकी उत्पाद के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। किसानों को धान एवं अन्य फसलों में होने वाले व्यय, मेहनत एवं आय के संबंध में विस्तृत चर्चा करते हुये कृषि उत्पाद से संबंधित उद्योगपतियों से सीधे संपर्क हेतु अवसर प्रदान किये गये। जिसके तहत बड़े किसान समूह अपने उत्पाद को सीधे उद्योगों तक अच्छे दर पर बेचने के लिये सक्षम हो सके। जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषि विभाग, पंचायत विभाग, उद्यानिकी विभाग के संयुक्त प्रयासों के रूप में जल संरक्षण स्वच्छता एवं फसल संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्यक्रम का आयोजन कर ग्राम के समस्त नागरिकों, किसानों, महिलाओं एवं युवाओं को घटते जल स्तर, फसल चक्र में परिवर्तन, अन्य फसलों से होने वाले लाभ तथा मिशन जल रक्षा की सम्पूर्ण जानकारी एवं कार्ययोजना का विवरण प्रदान करते हुये ग्रामीणों से सुझाव प्राप्त कर अपने कार्ययोजना के नक्शे को अंतिम रूप प्रदान किया जा रहा है। जिसके पश्चात जिले अंतर्गत जल्द ही वृहद स्तर पर वृक्षारोपण की कार्ययोजना तैयार करते हुये ब्लॉक वृक्षारोपण, नदी तट वृक्षारोपण, सड़क किनारे वृक्षारोपण, क्लोस्ड कैम्पस शासकीय भवनों में वृक्षारोपण की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही साथ समस्त निजी स्कूलों, कॉलेजो, उद्योगों एवं कॉलोनियों आदि से अधिक से अधिक वृक्षारोपण हेतु अपील करते हुये जिला राजनांदगांव में भू-जल स्तर सुधार हेतु मिशन जल रक्षा अंतर्गत प्रयासरत है।

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