माधवी राजे सिंधिया के अस्थि कलश का रामघाट पर हुआ विसर्जन
उज्जैन
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माताश्री राजमाता माधवी राजे सिंधिया जी का अस्थि कलश शुक्रवार को उज्जैन पहुंचा। रामघाट पर अस्थियों का विसर्जन किया गया।शहर में यह अस्थि कलश यात्रा निकाले जाने के पहले कलश को संख्याराजे धर्मशाला देवासगेट पर रखा गया, जहां पर शहर के प्रतिष्ठित जनों द्वारा पुष्पांजलि के माध्यम से राजमाता को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ग्वालियर से राजमाता माधवी राजे सिंधिया के अस्थि कलश को शिंदे मंडली के सदस्य पांडुरंगा राव और महल के अधिकारी संग्राम सिंह उज्जैन लेकर पहुंचे थे। लगभग एक घंटे तक श्रद्धांजलि सभा के बाद रथ के माध्यम से यह कलश यात्रा निकाली गई जिसमें रथ पर हे राम जैसे भजन बज रहे थे तो वही सिंधिया परिवार व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े लोगों द्वारा राजमाता अमर रहे जैसे नारे भी लगाए जा रहे थे।
यह अस्थि कलश यात्रा देवासगेट, संख्याराजे धर्मशाला से प्रारंभ होकर मालीपूरा, दौलतगंज, फव्वारा चौक, नईसड़क, कंठाल, गोपाल मंदिर, ढाबा रोड, शगुन गार्डन होते हुए रामघाट पर पहुंची। अनेक संगठनों ने श्रद्धा से इस यात्रा पर फूल बरसाए और राज माता की आत्म शांति के लिए प्रार्थना की।
शिप्रा नदी में अस्थि विसर्जन का विशेष महत्व
पहले भी सिंधिया परिवार के सदस्यों के अस्थि कलश शिप्रा नदी में प्रवाहित किए गए हैं। पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने बताया कि स्वर्गीय माधवी राजे सिंधिया उज्जैन कई बार आ चुकी थीं। ज्योतिष आचार्य पंडित अमर डिब्बे वाला के मुताबिक उत्तर वाहिनी शिप्रा नदी में स्नान करने भर से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिप्रा नदी तट पर भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का तर्पण और पिंडदान किया था। शिप्रा नदी में अस्थि विसर्जन के लिए देशभर से लोग आते हैं।
15 मई को हुआ था राजमाता का निधन
ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का 15 मई की सुबह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। वह पिछले कुछ दिन से 'वेंटिलेटर' पर थीं। उनका पिछले तीन महीने से एम्स में इलाज किया जा रहा था। वह निमोनिया के साथ-साथ सेप्सिस से भी पीड़ित थीं।