CG : हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध, ट्रक और बसों के पहिए थमे, पेट्रोल-डीजल का संकट
राजनांदगांव पेट्रोल-पंपों में सुबह से देर शाम तक मोटर साइकिल चालकों की कतार लगी रही। यात्री भटकते नजर आए। वहीं बसों के पहिए थम जाने से परिवहन व्यवस्था जिलेभर में ठप हुई।
केंद्र सरकार द्वारा ‘हिट एंड रन’ कानून में बदलाव के विरोध में ट्रक और बस के अलावा सभी तरह के वाहन चालकों ने तीन दिवसीय हड़ताल कर दिया है। वाहन चालकों के हड़ताल के चलते नए साल का पहला ही दिन लोगों के लिए मुश्किल भरा हो गया। बस सहित अन्य गाड़ियों के पहिये थम गए। ऑइल टैंकर नहीं चलने के कारण पेट्रोल पंपों में पेट्रोल-डीजल के लिए मारा मारी मची रही। चालक संघ व यूनियन के पदाधिकारियों ने पुलिस प्रशासन को केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन सौंपकर इस कानून को वापस लेने की मांग की है।
नए कानून को लेकर विरोध में चिचोला, पाटेकोहरा सहित जिले के मुख्य मार्गों पर कुछ देर के लिए चालकों ने चक्काजाम भी कर दिया। था। आनन-फानन में जिला प्रशासन चालक संघ व यूनियन के पदाधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें चक्काजाम नहीं करने की समझाइश दी। इसके बाद हालांकि चक्काजाम नहीं हुई लेकिन हड़ताल का असर ऐसा रहा कि ट्रक बसों के अलावा विभिन्न तरह के वाहनों के पहिए थम गए थे। जिला मुख्यालय से किसी भी रूट में बसें नहीं चलीं। बस स्टैंड पहुंचकर लोग अपने गंतव्य तक जाने के लिए भटकते रहे। कुछ चालक जो गाड़ी चला रहे थे, उन्हें भी जगह-जगह रोककर संघ द्वारा वाहन नहीं चलाने कहा गया। वाहन चालक केंद्र सरकार की नए मोटर व्हीकल एक्ट काला कानून बता रहे हैं। बता दें कि शहर में 15 से अधिक पेट्रोल पंप है, जहां रोजाना 30 से 35 हजार लीटर पेट्रोल और 35 से 40 लीटर डीजल की खपत होती है। हड़ताल की वजह से आइल टैंकर वाली गाड़ियां भी नहीं चली। इसके चलते पंपों में पेट्रोल नहीं पहुंच पाया और लोग पेट्रोल के लिए भटकते रही। हड़ताल की जानकारी लगते ही लोग रविवार से ही अपनी गाड़ियों में अतिरिक्त पेट्रोल व डीजल डलवा रहे थे। इसके चलते सोमवार को सुबह से ही पंपों में डीजल-पेट्रोल के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी।
क्या है नया कानून
किसी भी वाहन चालक द्वारा एक्सीडेंट करने पर उसे 10 की सजा और सात लाख जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इसी कानून का विरोध हो रहा है। राजनांदगांव ड्राइवर एकता संगठन के अध्यक्ष हेमनाथ देवांगन का कहना है कि नए मोटर व्हीकल एक्ट चालकों के लिए घातक साबित होगा। गरीब वाहन चालक 7 लाख रूपए जुर्माना कहां से लाएंगे। 10 साल की जेल का भी प्रावधान है, तो उसके परिवार का पालन-पोषण कौन करेगा।