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मध्य प्रदेश

ससुर रहे मुख्यमंत्री, पहली बार मंत्री बनीं कृष्णा गौर, कैसा रहा है राजनीतिक सफर

भोपाल
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (स्वर्गीय) बाबूलाल गौर की पुत्रवधू कृष्णा गौर अपने ससुर की विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रही हैं। वह लगातार दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं। उन्होंने भोपाल के गोविंदपुरा क्षेत्र से पहली बार चुनाव वर्ष-2018 में जीता। तब उन्होंने कांग्रेस के गिरीश शर्मा 46 को 359 मतों से हराया था। वहीं इसी वर्ष बीते माह हुए विधानसभा चुनाव में इसी सीट से कृष्णा गौर रिकार्ड एक लाख छह हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंची हैं। इसका लाभ कृष्णा गौर को मिला है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किया है।

महिला मतदाताओं की चहेती
उन्होंने गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं के बीच अच्छी पकड़ बनाई है। भेल कालेज का निर्माण हो या फिर आनंद नगर में अस्पताल का निर्माण कराने सहित सड़क, स्ट्रीट लाइट, पार्कों का निर्माण उन्होंने विधायक रहते हुए कराया। मतदाताओं के बीच बेहतर पैठ होने से उन्होंने ने रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज की है। इससे पहले वर्ष-2009 से 2014 तक भोपाल की महापौर रहीं। 2005 में मप्र राज्य पर्यटन निगम की अध्यक्ष का पद भी संभाला।

बहू, भाभी, दीदी का घर-घर रिश्ता बनाया
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बाबूलाल गौर का दशकों तक गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र पर वर्चस्व रहा। वर्ष-2018 में उनकी विरासत पुत्रवधु कृष्णा गौर ने विधायक का चुनाव जीतकर संभालीं। शुरुआत में लोग कहते थे कि कृष्णा गौर अपनी पैठ बाबूलाल गौर जैसी नहीं बना पाएंगी, क्योंकि उन्हें राजनीति विरासत में मिली हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वो लगातार सक्रिय रहीं। बुजुर्गों से बहू का रिश्ता जोड़ा, युवक-युवतियों से भाभी, दीदी का भी रिश्ता बनाया। सुबह से 10 से शाम छह बजे तक वो लोगों से मिलती हैं। विशेष तौर पर महिलाओं के बीच उनकी बहुत अच्छी पैठ है। घर-घर महिलाएं उन्हें कृष्णा दीदी के नाम से पुकारती हैं।

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