गणपति बप्पा का क्यों किया जाता है विसर्जन
मंगल मूर्ति बप्पा मोरया को गणेश चतुर्थी के दिन ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते गाते हुए बप्पा को घर-घर स्थापित किया जाता है, दस दिनों तक उनकी पूजा-आराधना की जाती है, बप्पा को तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं और पूरे गणेश उत्सव के बाद धूमधाम के साथ गणेश जी को अनंत चतुर्दशी के दिन जल में विसर्जित कर दिया जाता है, इस बार बप्पा को विसर्जित करने का दिन अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर को है। गणेश चतुर्थी की तरह ही गणेश विसर्जन भी बहुत धूमधाम से बनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं गणेश जी का विसर्जन क्यों किया जाता है? इसकी एक पौराणिक कहानी है।
पौराणिक कथा के अनुसार जब ऋषि वेदव्यास जी ने पूरी महाभारत के दृश्य को अपने अंदर आत्मसात कर लिया, लेकिन वे लिखने में असमर्थ थे इसलिए उन्हें किसी ऐसे की आवश्यकता थी, जो बिना रुके पूरी महाभारत लिख सकें, तब उन्होंने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की । ब्रह्मा जी ने उनसे कहा कि गणेश जी बुद्धि के देवता हैं वे आपकी सहायता अवश्य करेंगें। तब उन्होंने गणेश जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की, गणपति बप्पा को लिखने में विशेष दक्षता हासिल है, उन्होंने महाभारत लिखने के लिए स्वीकृति दे दी।
ऋषि वेदव्यास ने चतुर्थी के दिन से लगातार दस दिनों तक महाभारत का पूरे वृतान्त गणेश जी को सुनाया जिसे गणेश जी ने अक्षरश: लिखा। महाभारत पूरी होने के बाद जब वेदव्यास जी ने अपनी आखें खोली तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत अधिक हो गया था। उनके शरीर के तापमान को कम करने के लिए वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर पर मिट्टी का लेप किया, मिट्टी सूख जाने के बाद उनका शरीर अकड़ गया और शरीर से मिट्टी झडऩे लगी तब भी ऋषि वेदव्यास ने गणेश जी को सरोवर में ले जाकर मिट्टी का लेप साफ किया था। कथा के अनुसार जिस दिन गणेश जी ने महाभारत को लिखना आरंभ किया था, वह भादो मास में शुक्लपक्ष की चतुर्थी का दिन था, और जिस दिन महाभारत पूर्ण हुई वह अनंत चतुर्दशी का दिन था। तभी से गणेश जी को दस दिनों तक बिठाया जाता है और ग्याहरवें दिन गणेश उत्सव के बाद बप्पा का विसर्जन किया जाता है।