अवमानना मामला : सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अदालत की अवमानना मामले में 2017 में सुनाए गए आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था।
दरअसल भगोड़े कारोबारी माल्या ने शीर्ष न्यायालय के नौ मई 2017 के उस आदेश पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें उसे न्यायिक आदेशों को दरकिनार कर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ अमेरिकी डॉलर स्थानांतरित करने पर अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया गया था।
इस मामले में न्यायालय ने जून में अपनी रजिस्ट्री को यह बताने के लिए कहा था कि बीते तीन साल में माल्या की पुनर्विचार याचिका को संबंधित अदालत के समक्ष सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया. उसने रजिस्ट्री को बीते तीन साल में याचिका से संबंधित फाइल को देखने वाले अधिकारियों के नामों समेत सभी जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा था. माल्या ने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका दाखिल की है जिसमें उन्हें संपत्ति की जानकारी छिपाने पर अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था.
जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माल्या की सजा पर फैसला प्रत्यर्पण के बाद होगा. केंद्र को कहा था कि जब माल्या को भारत लाया जाए तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद माल्या कोर्ट में पेश नही हुए थे. इससे पहले 9 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उन्होंने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया. कोर्ट ने 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था.
दरअसल 9 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था. बैंकों ने मांग की है कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए.