मध्य प्रदेश

कैदी पति से संतान सुख चाहती है पत्नी… रिपोर्ट में खुलासा महिला संतानोत्पत्ति

खंडवा

मध्य प्रदेश में बच्चे का सुख पाने के लिए एक महिला ने हाई कोर्ट मांग की थी कि उसके पति को जमानत पर रिहा किया जाए. हालांकि, महिला की यह इच्छा पूरी होती नहीं दिख रही. उल्टा उसे मेडिकल बोर्ड की तरफ से झटका लगा है. हाई कोर्ट के निर्देश पर गठित मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि याचिकाकर्ता महिला संतानोत्पत्ति कर ही नहीं सकती. इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

दरअसल, खंडवा निवासी एक महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने मेडिकल जांच आदेश दिए थे. इसके लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज की डीन को पांच डॉक्टरों की एक टीम गठित करने को कहा गया था. इस पांच सदस्यीय टीम ने जांच के बाद अब रिपोर्ट सबमिट कर दी है. शुक्रवार को जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच के समक्ष महिला की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई. इसमें साफ बताया गया है कि याचिकाकर्ता महिला मां नहीं बन सकती. 

मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए की थी अपील
गौरतलब है कि खंडवा की रहने वाली महिला ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि एक आपराधिक केस में दोषी पाए जाने पर उसके पति को कारावास की सजा मिली है. मौजूदा समय में उसका पति इंदौर जेल में बंद है. महिला ने इच्छा जाहिर की थी कि वह मातृत्व सुख पाना चाहती है, जिसके लिए पति को एक महीने के लिए अस्थायी जमानत दिए जाने की मांग रखी थी. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया था कि संतान सुख का अधिकार मौलिक अधिकार में आता है.

हाई कोर्ट के निर्देश पर डॉक्टरों की पांच सदस्यीय टीम के सामने महिला उपस्थित हुई और उसका मेडिकल परीक्षण किया गया. डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि संतानोत्पत्ति के लिए महिला अयोग्य है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

डिग्री देने 48 सौ डॉलर ले लिए

इसी तरह एक अन्य मामले में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर एमबीबीएस की प्रोविजनल डिग्री के लिए निर्धारित 75 रुपये के स्थान पर 4800 यूएस डॉलर यानी तीन लाख 75 हजार रुपये वसूले जाने को चुनौती दी गई है. चीफ जस्टिस रवि मालिमठ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय और चिकित्सा शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 

इस दौरान याचिकाकर्ता अर्पिता चौहान की ओर से बताया गया कि एमबीबीएस के बाद वह पीजी मेडिकल कोर्स में दाखिला चाहती है. एमबीबीएस की प्रोविजनल डिग्री के लिए आवेदन करने पर विश्वविद्यालय ने स्पोर्ट्स, कल्चर, यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट सहित अन्य मदों की फीस जोड़कर डॉलर में जमा करने कहा.याचिकाकर्ता ने एनआरआई कोटे के तहत इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था.

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