advertisement
मध्य प्रदेश

रतलाम विधानसभा आरक्षित सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला

रतलाम

रतलाम जिले की आलोट तहसील का ऐतिहासिक महत्व है। विधानसभा सीट आलोट मध्यभारत की 1952 में सामान्य सीट थी। यहां से 1952 में झाबुआ निवासी कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता और संविधान निर्माता समिति के सदस्य कुसुमकांत जैन निर्वाचित हुए थे। 1957 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई, जो अभी तक आरक्षित श्रेणी की सीट ही है।

1957 में आरक्षित सीट से दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में रहते थे एक सामान्य और आरक्षित। आलोट आरक्षित सीट से मायाराम नंदा निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद 1962 में मायाराम कांग्रेस से विजयी रहे थे, 1967 में इस सीट पर जनसंघ का कब्जा हो गया था। दो बार विजयी होने वाले मायाराम इस बार पराजित हो गए। इसके बाद 1972 में कांग्रेस तो 1977 में जनता पार्टी विजयी रही थी। 1972 से अभी तक आलोट से एकमात्र महिला प्रत्याशी लीलादेवी चौधरी विजयी रही थी। 1977 में जनता पार्टी के सांखला विजयी रहे और प्रतिद्वंद्वी लीलादेवी चौधरी चुनाव हार गई थीं।

1980 में गहलोत विजयी हुए थे
1980 में थावरचंद गहलोत विजयी रहे थे, 1985 में कांग्रेस की लीलादेवी चौधरी विजयी रही और भाजपा के थावरचंद गहलोत पराजित हो गए थे। 1990 और 1993 में भाजपा के गहलोत विजयी रहे। 1998 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस से दो बार लड़े और इस बार निर्दलीय प्रह्लाद वर्मा को पराजित किया। थावरचंद गहलोत सांसद, मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल हैं।

2008 में ऊंटवाल ने गुड्डू को हराया था
2003 में प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस ने भाजपा के मनोहर ऊंटवाल को पराजित किया। 2008 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को पराजित किया थ। 2013 में भाजपा के जितेंद्र थावरचंद गहलोत ने कांग्रेस के अजित प्रेमचंद गुड्डू को पराजित किया। यह चुनाव पूर्व विधायकों के पुत्रों के मध्य हुआ था। 2018 में आलोट से कांग्रेस के मनोज चावला ने भाजपा के जितेंद्र थावरचंद गहलोत को पराजित किया था।

 

टिकट नहीं मिला तो गुड्डू ने छोड़ी कांग्रेस
इस बार प्रेमचंद गुड्डू को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। इसके पूर्व नवंबर 2018 में वे पुत्र सहित कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। उनका मन परिवर्तन हुआ और वे मार्च 2020 में पुनः कांग्रेस में शामिल हो गए। प्रेमचंद गुड्डू के बेटे ने भी चुनाव लड़ा और वर्तमान में बेटी रीना बौरासी सांवेर से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। प्रेमचंद गुड्डू छात्र नेता, पार्षद, विधायक और सांसद रहे हैं।

इस बार भाजपा से उज्जैन के पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय और कांग्रेस से पूर्व विधायक मनोज चावला उम्मीदवार हैं। प्रेमचंद गुड्डू स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। आलोट में भाजपा के रामचंद्र मालवीय ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। इस तरह विधानसभा चुनाव 2023 में आलोट सीट में त्रिकोणीय मुकाबला है।

आलोट की रोचक जानकारी

  • आलोट में 1952 के पहले चुनाव के बाद से अभी तक 7 बार कांग्रेस और 8 बार भाजपा (जनसंघ और जनता पार्टी शामिल) विजय रही है।
  • आलोट में सर्वाधिक उम्मीदवार 2013 में 10 और न्यूनतम उम्मीदवार 1972 में 2 थे।
  • सर्वाधिक मतों से विजय थावरचंद गेहलोत की 16,954 मतों से और कम मतों से जीत 1972 में लीलादेवी चौधरी की 219 मतों से हुई थी।
  • थावरचंद गेहलोत सर्वाधिक तीन बार आलोट से विधायक रहे हैं।

मतदाता

  • कुल मतदाता- 2 लाख 22 हजार 784
  • पुरुष -1 लाख 13 हजार 114
  • महिला-1 लाख 9 हजार 661
  • थर्ड जेंडर -9
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button