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UP : जिला अस्पताल में बेटे को स्ट्रेचर पर लेकर भटकती रही मां, वार्ड बॉय खड़ा रहा..डॉक्टर ने देखा तक नहीं

जिला अस्पताल में हर दिन बेशक संसाधन और सुविधाएं बढ़ती जा रही हैं लेकिन स्टाफ की उदासीनता पुराने ढर्रे पर है। यहां वार्ड बॉय से लेकर डॉक्टर तक ने संवेदनहीनता दिखाई और मरीज दर्द से कराहता रहा। बात शुक्रवार सुबह 10 बजे की है। डबल फाटक के भदौड़ा निवासी वृद्ध शकुंतला अपने बेटे राहुल (22) का इलाज कराने आई थीं।

सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक ओपीडी कक्ष से इमरजेंसी तक बेटे को स्ट्रेचर पर लेकर भटकती रहीं। इसके बावजूद न वार्ड बॉय ने मदद की और न डॉक्टर ने मरीज को देखा। बिना देखे ही वार्ड में भर्ती करा दिया। मरीज राहुल को पांच दिन पहले कुत्ते ने काटा था। समय से एंटी रैवीज वैक्सीन न लगवाने के कारण उसके पैर में इंफेक्शन हो गया है।

राहुल सही से चल नहीं पा रहा था। वह ओपीडी के 9 नंबर कक्ष में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचा तो डॉक्टर ने उसे इमरजेंसी में भर्ती होने की सलाह दी। इसके बाद शकुंतला इमरजेंसी वार्ड में पहुंची तो डॉक्टर ने मरीज को लाने के लिए कहा। इमरजेंसी के गेट पर स्ट्रेचर उपलब्ध थीं लेकिन वार्ड बॉय ने उनकी मदद करने से मना कर दिया।

वृद्ध महिला ने बताया कि वार्ड बॉय ने कहा कि खुद जाओ और मरीज को स्ट्रेचर पर ले आओ। वहां मौजूद होमगार्ड की मदद से महिला ने स्ट्रेचर निकाला और ओपीडी तक ले गईं। वहां से बेटे राहुल को उस पर लेटाया और खुद ही स्ट्रेचर खींचकर ले जाने लगीं।

वृद्ध महिला कमजोर होने के कारण स्ट्रेचर को सही ढंग से खींच नहीं पा रही थीं। इसके बावजूद कलेजे में ममता और आंखों में आंसू लिए वह लगातार चली जा रही थीं। रास्ते में खड़ी एक एंबुलेंस से स्ट्रेचर टकराया। वहीं से एक अन्य वार्ड बॉय गुजरा लेकिन उसने भी मदद नहीं की। 

इमरजेंसी में एक घंटे खड़ी रही महिला, डॉक्टर ने देखा तक नहीं

बुजुर्ग शकुंतला अपने बेटे को लेकर किसी तरह इमरजेंसी में पहुंची। वहां कुछ अन्य मरीज भी थे। यह बात दोपहर 12:10 बजे की है। एक घंटे तक इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर ने मरीज राहुल को देखा तक नहीं। एक घंटे बाद वार्ड बॉय ने देखा को परेशानी पूछी। ऑपरेटर ने पर्चा बनाया और डॉक्टर के मरीज को देखे बिना ही पहली मंजिल पर वार्ड में भर्ती करा दिया गया।

कुछ देर बाद एक स्वास्थ्य कर्मी वहां पहुंचा और राहुल की परेशानी पूछी। सारी बता बताने पर उसने महिला से एक मरहम लाने के लिए कहा। यह मरहम अस्पताल में नहीं था तो वृद्ध को बाहर मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ा। उसके पास दवा के लिए रुपये नहीं थे, इसलिए सरकारी अस्पताल पहुंची थीं लेकिन यहां भी निराश ही मिली।

स्ट्रेचर पर हर समय वार्ड बॉय की ड्यूटी लगाई गई है। इसके बावजूद यह लापरवाही हुई है तो मैं इस पूरे प्रकरण की जांच कराऊंगा। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. राजेंद्र कुमार, चिकित्साधीक्षक, जिला अस्पताल

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