UP : शवों की खोपड़ी ईंट से तोड़ रहे डॉक्टर, बिसरा सुरक्षित करने के लिए वॉयल तक उपलब्ध नहीं
फर्रुखाबाद जिले में आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस में डॉक्टर शवों की खोपड़ी ईंट से तोड़ने के लिए मजबूर हैं। हथौड़ी न होने से परेशानी हो रही है। वही बिसरा सुरक्षित करने के लिए वॉयल तक उपलब्ध नहीं है। शासन के आदेश के बाद भी पोस्टमार्टम हाउस में दो चिकित्सकों की ड्यूटी भी नहीं लगाई जा रही है। फतेहगढ़ पुराने जिला अस्पताल में आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस आठ वर्ष पहले 50 लाख की लागत से बनाया गया। इसमें शव रखने के लिए छह डीफ फ्रीजर लगाए गए। एक्सरे के लिए कक्ष बनाया गया। शव का पोस्टमार्टम करने व डॉक्टर के बैठने व आराम करने के कक्ष भी बने हैं।शासन का आदेश है कि आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस में दो डॉक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। शव का एक्सरे वहीं पर कराया जाए। लेकिन यहां किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं है। लोहिया अस्पताल से टेक्नीशियन को संबद्ध कर रखा है, लेकिन एक्सरे मशीन नहीं है। कई वर्ष से मुहैया नहीं करवाई गई है पोस्टमार्टम किटगोली से मौत होने पर आने वाले शव का लोहिया अस्पताल में एक्सरे कराया जाता है। कई वर्ष से पोस्टमार्टम किट मुहैया नहीं करवाई गई है। डॉक्टर हथौड़ी नहीं होने पर ईंटों से खोपड़ी तोड़कर मृत्यु का समय जानने का प्रयास करते हैं। कई बार ईंट से खोपड़ी तोड़ने पर उसके परखच्चे उड़ जाते हैं। अफसरों के बंगले पर ड्यूटी कर रहे हैं पांच कर्मचारीसात संविदा कर्मियों की यहां तैनाती है। लेकिन पोस्टमार्टम हाउस में दो संविदा कर्मी विनीत मसीह व राजीव ड्यूटी करने आते है। पांच कर्मचारी अफसरों के बंगले पर ड्यूटी कर रहे हैं। दो फार्मासिस्ट की तैनाती का आदेश है। लेकिन एक फार्मासिस्ट सूरज यादव की ही यहां पर तैनाती है। प्लास्टिक के डिब्बे में सुरक्षित करके भेजा जाता है बिसराउनके अवकाश पर जाने पर पुलिस लाइन में तैनात फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगाई जाती है। बिसरा को वॉयल के स्थान पर। परिजनों से मंगाए गए प्लास्टिक के डिब्बे में सुरक्षित करके भेजा जाता है। बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम हाउस की ऐसी स्थिति कई वर्षों से चल रही है। ये औजार चाहिएशव का पोस्टमार्टम करने के लिए कई प्रकार के तेज धारदार चाकू, कटर, हड्डी काटने वाला कटर, हथौड़ी, छेनी, वजन करने की मशीन, प्रोब सहित कई अन्य छोटे सामान किट में हाेते हैं। बिसरा में यह अंग किए जाते हैं सुरक्षितमृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं होने पर डॉक्टर बिसरा सुरक्षित करते हैं। इसमें तिल्ली, जिगर, गुर्दा, खाने की थैली व आंत के टुकड़ों को सुरक्षित कर जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाता है। तीन बार स्टोर इंचार्ज को पत्र भेजकर पोस्टमार्टम किट व औजार की डिमांड कर चुके हैं। इसके बाद भी पोस्टमार्टम किट व औजार उपलब्ध कराए नहीं गए। कई बार अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं। -डॉ. दीपक कटारिया, नोडल अधिकारी पोस्टमार्टम हाउस