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UP: चार साल में खो दिए तीन बेटे, मौत की वजह एक जैसी!, बुखार आया और 24 घंटे के अंदर ही तोड़ दिया दम
औरैया जिले के दिबियापुर कोतवाली क्षेत्र में चार वर्षों में एक ही तरीके के बुखार ने दिबियापुर के वीर अब्दुल हमीद नगर निवासी व्यक्ति के तीन बेटों की जान ले ली। बुधवार को कानपुर में तीसरे बेटे की मौत के बाद माता-पिता और दादी बदहवास हैं। गुरुवार को जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बच्चे की मौत के कारणों की पड़ताल करने पीड़ित के घर पहुंचे। वीर अब्दुल हमीद नगर निवासी संतोष मजदूरी करते हैं। बताया कि नौ अक्तूबर की रात में डेढ़ साल के बेटे आदित्य को तेज बुखार आया।
सुबह आराम न मिलने पर कानपुर ले गए। यहां एक निजी अस्पताल व एक चैरिटी हाॅस्पिटल में भर्ती कराना चाहा, लेकिन यहां पर 20 हजार रुपये जमा करने के लिए बोला, तो वह बुखार से तपते बेटे को लेकर हैलट पहुंचा। जहां बाल रोग अस्पताल में भर्ती कराया।मुंह से ऑक्सीजन देता रहा बेबस पिताडॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन बच्चे को बचा नहीं सके। डॉक्टरों ने बच्चे को हाईग्रेड फीवर बताया। बच्चे की मौत की खबर सुनकर मां सोनी एवं दादी लक्ष्मी बाल रोग अस्पताल के बाहर बेहोश हो गई थीं। पिता संतोष बच्चे के जीवित होने की आस में काफी देर तक उसे मुंह से ऑक्सीजन देता रहा।बुखार आने से मौत के बीच केवल 24 घंटे लगेकाफी देर तक कोई हलचल न होने पर पिता भी फफक पड़ा था। संतोष ने बताया कि वर्ष 2019 में सात महीने के बेटे युग की इसी प्रकार से तेज बुखार के कारण मौत हो गई थी। बुखार आने से मौत के बीच केवल 24 घंटे लगे थे। वहीं, वर्ष 2022 में नौ माह 11 दिन के बेटे अवी ने भी तेज बुखार से दम तोड़ दिया था।बच्चे की मौत के कारणों की जांच कीबताया कि अब उनका केवल एक ही सबसे बड़ा बेटा सात वर्षीय कुनाल है। घटना की जानकारी मिलने पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉ. राकेश सिंह, सीएचसी अधीक्षक डाॅ. विजय आनंद व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चे की मौत के कारणों की जांच की।हैलट में किया गया था भर्तीसाथ ही आसपास के घरों में डेंगू का एडीज लार्वा भी तलाशा, लेकिन कहीं पर भी लार्वा नहीं मिला। बता दें कि कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले दंपती के तीसरे बच्चे की भी मौत हो गई। तीसरे बच्चे को हाईग्रेड फीवर ने अपना शिकार बनाया। रोगी को बुधवार को ही हैलट में भर्ती किया गया था।बुखार से आदित्य की हालत बिगड़ गई थीपिता संतोष इस आस में कि बच्चा जीवित है, बहुत देर तक उसे मुंह से ऑक्सीजन देता रहा। काफी देर तक जब हलचल नहीं हुई, तो वह भी फफक पड़ा। रोगी के परिजनों ने बताया कि बुखार के बाद 17 महीने के आदित्य की हालत बिगड़ गई थी। पहले वह उसे शास्त्रीनगर के निजी अस्पताल ले गए। बच्चे की हालत गंभीर बताकर हैलट भेज दिया गया। रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने से नहीं कर पाता काममृत बच्चे के पिता संतोष का कहना है कि मकान बनवाते समय उनकी पीठ में फ्रैक्चर हो गया था। इसके कारण वह मजदूरी नहीं कर पाते। आयुष्मान कार्ड न बन पाने के कारण वह रीढ़ की हड्डी का उपचार भी नहीं करा पाए। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनका मकान बन गया था। लाल कार्ड न होने के कारण उनका आयुष्मान कार्ड नहीं बना है।मृतक के पिता ने बताया है कि बच्चे के शरीर पर चकत्ते दिखाई दिए थे। ऐसा माना जा रहा है कि नौ अक्तूबर की रात में बुखार आने पर चिकित्सक से पूछे बिना दी गई दवा का रिएक्शन हुआ है।