MP : पति की हत्या करने वाली पत्नी और उसके प्रेमी को आजीवन कारावास, अवैध संबंध के चलते ली थी जान
अवैध संबंध के चलते प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करने वाली पत्नी व प्रेमी को कोर्ट ने आजीवन कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित करने की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटी एक्ट) सुरेश सिंह ने मामले के अभियुक्तगण पंकज उर्फ लल्ला पिता रामसिंह वर्मा नि. निपानिया सिक्का, थाना इछावर जिला सीहोर को धारा 302, 120 बी भादवि में आजीवन कारावास एवं 5000 रुपये के अर्थदण्ड एवं धारा 201 भादवि में 5 वर्ष सश्रम कारावास एवं 3000 रुपये अर्थदण्ड एवं आरोपी रीनाबाई पत्नी विमलेश निवासी निपानिया सिक्का को धारा 302, 120 बी भादवि में आजीवन कारावास एवं 5000 रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया।
अभियोजन के अनुसार दिनांक 28.11.2021 को फरियादी प्रेमनारायण वर्मा ने थाना इछावर में सूचना दी कि सुबह करीबन 7.00 बजे मैं अपने भाई अशोक के साथ खेत पर गया था जहां उसने देखा कि मवेशी के ग्वाडे के पास पाइप टूटा पड़ा हुआ था। अशोक ने देखा कि पाइप पर खून लगा है। प्रेमनारायण व अशोक खून के छीटों का पीछा करते-करते खेत की मेंढ ही मेंढ़ चलते हुए नारायण सिंह वर्मा के चिरोजी वाले के खेत पर पहुंचे तो वहां दोनों ने तुअर के खेत में पल्ली में शाल से लिपटा हुआ विमलेश का शव देखा। विमलेश का गला कटा हुआ था विमलेश खून से लथपथ था।
प्रेमनारायण ने बताया कि पंकज से हमारी पुरानी रंजिश है इसलिए शंका है कि पंकज ने मेरे भाई विमलेश की हत्या की होगी। पुलिस ने मर्ग पंजीबद्ध किया गया एवं प्रेमनारायण वर्मा की रिपोर्ट पर थाने पर पंकज उर्फ लल्ला व्यक्ति के विरूद्ध थाने पर अपराध क्रमांक 455/21 धारा 302 भादवि पंजीबद्ध किया गया। अनुसंधान के दौरान संदेही पंकज उर्फ लल्ला से घटना के संबंध में पूछताछ की गई तो आरोपी ने बताया कि मृतक विमलेश की पत्नी रीना से आरोपी के अवैध संबंध थे। रीना के कहने पर मृतक की कुल्हाड़ी से मारकर हत्या की गई है और शव को नारायण सिंह वर्मा के चिरोजीवाले खेत पर लगी तुअर में छिपा दिया। प्रकरण में धारा 120 बी, 34 भादवि का इजाफा किया गया एवं मृतक की पत्नी रीना को इस अपराध में सम्मिलित किया गया और आरोपी रीना से घटना के संबंध में पूछताछ करने पर आरोपी पंकज से अवैध संबंध होने से मृतक की हत्या में शामिल होना स्वीकार किया। संपूर्ण अनुसंधान उपरांत न्यायालय के समक्ष अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया गया। विचारण न्यायालय द्वारा अभिलेख पर आई साक्ष्य एवं अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुए आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।