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मध्य प्रदेश

कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रेमचंद गुड्डू और बेटी रीना सेतिया ने सांवेर से टिकट के लिए ठोकी ताल !

इंदौर

मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रेमचंद गुड्डू और बेटी रीना सेतिया का विवाद खुलकर सामने आ गया है। एक ओर जहां दोनों के बीच विधानसभा टिकट के लिए विवाद चल रहा है वहीं दूसरी ओर अब प्रापर्टी का विवाद भी शुरू हो गया है।

एक ओर जहां दोनों के बीच विधानसभा टिकट के लिए विवाद चल रहा है वहीं दूसरी ओर अब प्रापर्टी का विवाद भी शुरू हो गया है। देर रात दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए तिलक नगर थाने में आवेदन दिया। मामला तिलक नगर थाना क्षेत्र में चल रहे रीना के कालेज का है। यह कालेज उनके पिता प्रेमचंद गुड्ड के अजीत क्लब में चल रहा है।

सांवेर में रीना तीन साल से लगातार सक्रिय हैं। वे यहां पर राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के समय एक रात रुकवा चुकी हैं और कमलनाथ को भी अपने कार्यक्रमों में लगातार बुलवाती रहती हैं। वे सांवेर से चुनाव लडऩा चाहती हैं और प्रेमचंद गुड्डू खुद के लिए और बेटे के लिए भी सांवेर, रतलाम की आलोट या उज्जैन की घटिया से टिकट चाहते हैं। यह तीनों ही एससी सीट है। कांग्रेस एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट नहीं देना चाहती इसलिए पिता प्रेमचंद गुड्डू बेटी को टिकट की मांग बंद करने के लिए कह रहे हैं। रीना इस पर सहमत नहीं हैं और वह साफ कर चुकी हैं कि वे सांवेर से ही चुनाव लड़ेंगी।

अजीत एंड अजय क्लब में पिता प्रेमचंद गुड्डू ने बेटी रीना के लिए एक कालेज शुरू किया था। जब दोनों के बीच राजनीतिक विवाद शुरू हुए तो यह विवाद प्रापर्टी पर भी आ गए।एक जाहिर सूचना अजीत क्लब की ओर से जारी की गई, जिसमें रेडिएंट कॉलेज चेयरमैन रीना सेतिया और सीईओ आशीष सेतिया की लीज निरस्ती की सूचना जारी की गई। साथ ही छात्रों को सावधान किया गया कि कॉलेज में एडमिशन नहीं लें। इस पर हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।

इसके बाद रीना और आशीष के अकाउंटेंट  क्लब में चल रहे अपने कालेज में कुछ दस्तावेज लेने गए। आशीष का कहना है कि जब हम वहां पहुंचे तो अजीत बौरासी और अन्य 10-15 लोग वहां पहुंच गए और चोरी के आरोप लगा कर कर्मचारियों से विवाद किया। हमें फोन आया तो मैं और रीना वहां गए और समझाया कि अभी तो कॉलेज भवन हमारा ही है और हम वहां चोरी क्यों करेंगे कागज तो हमारे ही हैं। विवाद बढऩे पर दोनों पक्ष थाने पहुंच गए और एक-दूसरे खिलाफ आवेदन दिया। आशीष और रीना का कहना है कि लीज निरस्ती की यह प्रक्रिया वैधानिक नहीं है। वहीं गुड्डू का कहना है कि यह व्यावहारिक मामला है, हमने लीज निरस्त का पहले ही बता दिया था। कॉलेज का नाम पेपर लीक में भी आ चुका है। इसी वजह से हमने लीज निरस्त कर दी है। वहीं रीना और आशीष का कहना है कि हमारी लीज 30 साल की है जो साल 2009 में हुई थी। हमें बेवजह परेशान किया जा रहा है।

अगर बात की जाए आगामी 2023 विधानसभा चुनाव की तो यह अभी से ही दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और बीजेपी ने मतदाताओं तक पैठ बनाने की कवायद शुरू कर दी है. वहीं अब बीजेपी जहां 'शहर की तरह गांव का विकास' जैसे मुख्य नारे के इर्द-गिर्द स्कूल शिक्षा, किसान विकास, सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को घर-घर तक पहुंचाने का दावा कर रही है, तो वहीं कांग्रेस किसान कर्ज माफी, पानी, बिजली जैसे मुख्य मुद्दों को लेकर इससे पहले रही कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में हुए काम जनता को बता रही है. 

लगभग दो लाख सत्तर हजार से ज्यादा मतदाता वाली इस विधानसभा सीट में एक लाख चालीस हजार से ज्यादा पुरुष मतदाता और एक लाख तीस हजार के लगभग महिला मतदाता सांवेर विधानसभ उम्मीदवारों का भाग्य का फैसला करती है. साथ ही सांवेर विधानसभा सीट के मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ बंधकर नहीं रहे, यही कारण रहा है कि सांवेर में कभी कांग्रेस ने राज किया तो कभी बीजेपी ने.

8 बार बीजेपी 5 बार जीती कांग्रेस
इधर सांवेर विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो 1962 में  प्रदेश की चौथी विधानसभा के लिए संपन्न हुए चुनाव से लेकर वर्ष 2018 में सम्पन्न हुए 16वीं विधानसभा के चुनाव तक यहां 13 विधानसभा चुनाव हो चुके है. जिसमें दो बार भारतीय जनसंघ जो अब बीजेपी के नाम से जानी जाती है. उसे मिलाकर अब तक कुल 8 बार बीजेपी के प्रत्याशियों ने यहां अपना परचम फहराया है. वहीं 5 बार सांवेर की जनता ने कांग्रेस पार्टी ने नेताओं पर भी अपना विश्वास जताकर सत्ता में बैठा चुकी है. वहीं एक बार जनता दल पार्टी के उम्मीदवार ने भी एक बार जीत हासिल की है.

 

 

वर्तमान विधायक तुलसी सिलावट ने चौदहवीं विधानसभा 2008 ओर वर्ष सोलहवीं विधानसभा 2018 में यहां सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर लड़कर बीजेपी की उम्मीदवार निशा सोनकर और राजेश सोनकर को पराजित कर दिवंगत प्रकाश सोनकर की तरह सांवेर से चार बार विधायक रहने की उपलब्धि हासिल की है. वहीं 2018 में जीते कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य के कट्टर समर्थक तुलसी सिलावट 2019 में दल बदल कर बीजेपी में शामिल हुए थे. जिसके चलते स्वत खाली विधानभा सीट पर 2020 में उपचुनाव हुए जिसमे तुलसी सिलावट द्वारा कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रेमचंद गुड्डू को पराजित कर एक बार फिर सांवेर विधानसभा में बीजेपी की और से पहली बार विधायक बने है. सांवेर विधानसभा सीट से अब तक चुना गया कोई भी जनप्रतिनधि यहां का मतदाता नहीं रहा है. यहां से चुने गए 12 विधायक इंदौर शहर के रहने वाले है. जबकि एक महू का रहने वाला रहा है.

वहीं इस बार कांग्रेस पार्टी की ओर से रीना बौरासी सेतिया चुनौती देती नजर आ सकती हैं, जो पिछले तीन सालो से सांवेर में सक्रिय होकर जनता के मुद्दो को उठाकर सरकार के सामने रख रही हैं. रीना बौरासी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान सांसद राहुल गांधी द्वारा की भारत जोड़ो यात्रा को अपनी विधानसभा में नाइट स्टे करवाकर अपनी दावेदारी पेश कर चुकी है.

लगातार सक्रिय हैं रीना
रीना बौरासी सेतिया का कहना है कि हमारे द्वारा पिछले तीन सालों से लगातार क्षेत्र में काम किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी बिखरी हुई थी, जिसे संगठित किया है. कार्यकर्ताओं को बताया की हमें हार से निराश नहीं होना है. कांग्रेस ने देश चलाया है और आगे भी चला सकते हैं. अब एक नई कांग्रेस तैयार हो चुकी है.

70 हजार वोटों से जीतने का दावा
वहीं रीना ने आगे कहा कि सामने बीजेपी के मंत्री से मिलने वाली चुनौती को लेकर कहा की मेहनत ही सबसे बड़ी सफलता की कुंजी कहा जाता है हम मेहनत कर रहे हैं हमें नहीं लगता कि किसी भी प्रकार की कोई चुनौती हमारे सामने है. हालांकि पिता प्रेमचंद गुड्डू बीजेपी के जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट से जरूर 54 हजार वोट से हारे थे, लेकिन अब करीब 70 हजार वोट से कांग्रेस पार्टी जीत हासिल करेगी.

धार्मिक अनुष्ठान को लेकर रीना ने कहा, "पिछले दो सालों से विधानसभा क्षेत्र धार्मिक आयोजन करवाती आ रही हूं. वहीं अब मंत्री तुलसी सिलावट का कभी ऐसा स्वभाव नहीं रहा है लेकिन भी पिछले दो महीनों से राम कथा व दूसरे धार्मिक आयोजन करवा रहे है. अच्छी बात है भगवान को याद कर रहे है. ओर यह वोट बैंक की राजनीति नहीं है यह तो तब होता जब चुनाव के समय करवाया जाता है. यह तो पिछले दो सालों से किए जा रहे है और हमारे द्वारा कराए जा रहे धार्मिक अनुष्ठान कोई वोट बैंक की राजनीति नहीं है. यह तो एक जनसेवा का एक रास्ता है." 

चौंकाने वाले रहते हैं नतीजे
वहीं वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह यादव के अनुसार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सांवेर विधानसभा के नतीजे हमेशा चौंकाने वाले रहते है. बीते वर्ष 2020 में यहां हुए उपचुनाव को ही देख लीजिये एक ओर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए मौजूदा मंत्री और वर्तमान विधायक तुलसीराम सिलावट थे. दूसरी ओर बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में वापसी करने वाले नेता प्रेमचंद गुड्डू थे. लेकिन यहां के मतदाताओं ने पार्टी सिंबल की जगह दोबारा सिलावट को ही चुना. 

होगा कड़ा मुकाबला
यही वजह है कि आगामी विधानसभा के मद्देनजर सिलावट पूरा जोर लगा रहे वे किसी भी तरह से अपनी विजय को सुनिश्चित नहीं मान रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद में कांग्रेस नेता गुड्डू की बिटिया रीना बोरसी भी क्षेत्र खासी सक्रिय हैं. यहां अब तक हुए 14 विधानसभा चुनाव में 8 बार बीजेपी, 5 बार कांग्रेस और एक बार जनता दल के प्रत्याशी पर मतदाता ने विश्वास जताया है. इसलिए माना जा रहा है की 2023 के चुनाव में सांवेर विधानसभा में कड़ी टक्कर होने की प्रबल संभावना है.

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