छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव: मां बम्लेश्वरी का सजा दरबार, दर्शन के लिए लगी भक्तों की लंबी कतार, जाने मंदिर का इतिहास

राजनांदगांव। क्वांर नवरात्र को लेकर मां बम्लेश्वरी का दरबार सजकर तैयार हो गया है। नवरात्र के पहले दिन मां बम्लेश्वरी के दर्शन कर सुबह से भक्तों की कतार लगी रही। सुबह छह बजे से दर्शन करने श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। ऊपर और नीचे मंदिर में करीब सात हजार मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वल्लित की जाएगी। कोरोना संक्रमण के चलते दो वर्षों से मेला नहीं लग पाया था। इस बार मेला भी लगेगा। दुकानदारों को अस्थायी दुकानों का आवंटन कर दिया गया है। कोरोना के कारण पिछले दो साल तक मां के दर्शन से वंचित श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। इस बार वे आसानी से माता के दर्शन कर सकेंगे। उनके उत्साह को देखते हुए ही रेलवे ने भी डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन पर आठ यात्री गाड़ियों के ठहराव की घोषणा की है।

आनलाइन भी दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु -मां बम्लेश्वरी का दरबार 1600 मीटर ऊंची पहाड़ी पर है। श्रद्धालुओं को यहां तक पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेगी। हालांकि यहां रोपवे की भी व्यवस्था है। इसके अलावा आनलाइन दर्शन की भी सुविधा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है। पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी का मुख्य मंदिर है। उन्हें बड़ी बम्लेश्वरी के रूप में जाना जाता है।

बेहतर कारोबार की उम्मीद – पहाड़ के नीचे भी मां बम्लेश्वरी का एक मंदिर है। यह छोटी बम्लेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि वे मां बम्लेश्वरी की छोटी बहन हैं। नवरात्र पर यहां मेला शुरू हो गया है। पूजन के साथ ही विभिन्न् प्रकार के सामानों की दुकानें सजी हुई हैं। दो साल बाद हो रहे इस मेले को लेकर दुकानदारों को अच्छा खासा कारोबार होने की उम्मीद है।

आप भी जानिए मंदिर का इतिहास – मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है। डोंगरगढ़ का इतिहास मध्य प्रदेश के उज्जैन से जुड़ा है। इसे वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को मध्य प्रदेश के उज्जयनी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी कहा जाता है। इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं। उन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। उन्हें यहां मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।

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