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छत्तीसगढ़

छत्‍तीसगढ़ के इस जिले में मनाया जाता है ‘देश का दूसरा सबसे बड़ा पर्व’, इसे देखने के लिए लगती है पर्यटकों की भीड़

छत्तीसगढ़ के बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व के बाद दूसरा सबसे बड़ा पर्व गोंचा पर्व मनाया जाता है. 27 दिनों तक चलने वाले इस गोंचा पर्व की शुरुआत बस्तर में 613 साल पहले शुरू हुई थी, और इस पर्व की पहली रस्म चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ गोंचा पर्व की शुरुआत हो चुकी है. ओड़िसा के पूरी जगन्नाथ के बाद बस्तर में गोंचा पर्व धूम धाम से मनाई जाती है. इस पर्व को देखने देश विदेशो से बड़ी संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं. 13 जून से शुरू हुआ यह गोंचा पर्व 10 जुलाई तक चलेगा. इस दौरान 15 से अधिक रस्म निभाई जाएगी, बस्तर में  करीब 613 सालो से गोंचा पर्व में निभाई जाने वाली  परंपरा को आज भी बस्तरवासी  बड़े उत्साह से निभाते आ रहे हैं.

27 दिनों तक मनाया जाता है महापर्व
जानकारी के मुताबिक रियासतकाल मे ओड़िसा राज्य के जगन्नाथ  पूरी के महाराजा ने बस्तर के राजा को  रथपति की उपाधि दी थी. जिसके बाद ओड़िसा के बाद बस्तर में गोंचा पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. 27 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में गोंचा के दिन बस्तर में तीन विशालकाय रथों पर सवार भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र की रथयात्रा निकाली जाती है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ को बस्तर की पांरपरिक तुपकी (बांस की नली) से सलामी दी जाती है.

इस बार भी चन्दनयात्रा के साथ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है,  बस्तर के जानकार रुद्र नारायण पाणिग्राही ने बताया कि  बस्तर के  जगन्नाथ मंदिर में  परंपरा अनुसार इंद्रावती नदी के पवित्र जल से भगवान जगन्नाथ देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रह को चंदन और पवित्र जल से स्नान कराया जाता है. वहीं भगवान शालिग्राम का विधि विधान से पूजा की जाती है. जिसके बाद भगवान के विग्रह को मुक्ति मंडप में स्थापित किया जाता है.

16 जून से भगवान जगन्नाथ अनसर में रहेंगे. इस दौरान भगवान के दर्शन वर्जित माना जाता है. बस्तर के  360 आरण्य ब्राह्मण समाज द्वारा भगवान जगन्नाथ पूजा का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जगदलपुर में 613 साल से यह पर्व धूमधाम से  मनाया जा रहा है, इस साल भी 13 जून से शुरू हुई यह पर्व 10 जुलाई तक चलेगी, और हर रोज  बस्तर गोंचा पर्व के तहत कई तरह के कार्यक्रम और पूजा विधान जगन्नाथ मंदिर में  आयोजित किए जाएंगे इस दौरान इन रस्मो को देखने और रथ यात्रा को देखने बड़ी संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते है.

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