छत्तीसगढ़रायपुर जिला

रायपुर : महिला स्व-सहायता समूहों ने लॉकडाउन को स्वावलंबन के सुअवसर में बदला : ग्राम चेटुवा की महिला स्व-सहायता समूह नेे बाड़ी की सब्जी बेचकर की अच्छी कमाई

रायपुर – छत्तीसगढ़ शासन की नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना से महिलाओं का ऐसा संबल मिला है कि लाकडाउन के कठिन वक्त में भी इनकी आजीविका चलती रही और फली-फूली भी। दुर्ग जिले के कई गांवों की बाड़ियों में लॉकडाउन में महिला स्वसहायता समूहों ने बड़े पैमाने पर सब्जी उगाई और इसे बाजार तक ले गई। एक ऐसी ही कहानी है धमधा विकासखंड के ग्राम चेटुवा की। यहां महिलाओं ने बाड़ी में जिमीकंद, बरबट्टी, भिंडी, करेला, मेथी और अनेक प्रकार की भाजी लगाई। स्व-सहायता समूह की महिलाओं की मेहनत लॉकडाउन की विषम परिस्थिति के दौरान काम  आई, इस दौरान गांव में बाहर से सब्जी मंगाने की जरूरत नहीं पड़ी।    जागृति स्व-सहायता समूह की महिलाओं की बाड़ी में इतनी सब्जियां उत्पादित हुई कि पूरे गांव के इस्तेमाल में आ गई। चेटुआ गांव की बाड़ी में जिमीकंद का उत्पादन 700 किलोग्राम हुआ, भिंडी का उत्पादन 600 किलोग्राम हुआ और 150 किलोग्राम भाजी का उत्पादन हुआ। समूह की सदस्य राजेश्वरी ने बताया कि हम लोगों ने हर तरह की सब्जी उगाई, कई प्रकार की वैरायटी की सब्जी गांव वालों को खाने को मिली। गांव की बाड़ी की सब्जी स्वादिष्ट भी बहुत लगी। राजेश्वरी ने बताया कि शहर से आने वाली सब्जी में केमिकल बहुत मिलाते हैं, जिसकी वजह से सब्जी में स्वाद नहीं आता। जब हमारी सब्जी लोगों ने खाई, फिर तो इसकी मांग खूब बढ़ गई। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान 17 हजार 500 रुपए की कमाई हम लोगों को हुई। राजेश्वरी ने बताया कि हम लोगों के पास घर के काम के बाद काफी समय बच जाता था। अब हमारे समय का गुणवत्तापूर्वक उपयोग हो रहा है। हम लोगों को सब्जी भी खरीदनी नहीं पड़ रही। लोग सब्जी हमारी बाड़ी से खरीद रहे हैं और हमारी आय हो रही है। हम लोग निकट भविष्य में इसका विस्तार भी करेंगे। सभी महिलाएं बहुत खुश हैं। उल्लेखनीय है कि सब्जी के इस उत्पादन के पीछे कंपोस्ट खाद की भी भूमिका रही है। गौठानों में बने आर्गेनिक खाद बाड़ी में काम आ रहे हैं। इससे खाद का खर्च बच रहा है। इस प्रकार न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन सिद्ध हो रहा है। बड़ी बात यह है कि इससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है। शासन ने बाड़ी के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा दी। हार्टिकल्चर विभाग ने उन्हें सभी तरह की तकनीकी सहायता दी। यह मॉडल ग्रामीण विकास के लिए बड़ी संभावनाएं पैदा करता है और स्वावलंबन के लिए मिसाल है जिससे लॉकडाउन जैसे कठिन समय में भी आजीविका  का रास्ता बंद नहीं होता।

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button