मानवता भूलकर कोरोना काल मे भी बुक डिपो संचालक कर रहे हैं मुनाफाखोरी – परवेज अहमद

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से पलकों पर बढ़ता है प्रतिवर्ष बोझ
राजनांदगांव । भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष परवेज अहमद पप्पू ने कहा कि कोरोना कॉल के दौरान बंद रही निजी स्कूलों ने अब छूट मिलने के बाद दो महीने में हुए नुकसान की भरपाई करने का नया तरीका निकाला है। निजी स्कूलों के संचालको ने बुक डिपो संचालक के साथ मिलकर किताबो के दाम बढ़ा दिए हैं।
प्राइवेट स्कूलों में पुस्तक कॉपी को लेकर भारी गहमागहमी का माहौल प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की पुस्तकें बहुत ही महंगी लॉग डॉन की स्थिति में महंगी पुस्तकें और कॉपी से पालक हो रहे परेशान इस दौरान अभी पूरे भारत सहित छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन के चलते छत्तीसगढ़ राज्य में सभी स्कूल व कॉलेज बंद है राज्य सरकार के द्वारा शिक्षा विभाग के माध्यम से आदेश जारी करते हुए सभी स्कूलों मैं ऑनलाइन पढ़ाई करने का आदेश जारी किया गया है लेकिन इसी बीच पुस्तकें व कॉपी महंगी होने से पालकगण बहुत ही परेशान है क्योंकि कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन का दंश लोग छेल रहे हैं । वहीं नर्सरी की किताबें 1400/रू की आ रही है एक तरफ अभिभावक जीवन जीने संगर्ष कर रहा है दुसरी ओर महंगी शिक्षा का बोझ , सरकार को गंभीरता से इस ओर ध्यान देना चाहिए और पालकों को मुनाफाखोर शिक्षा ववस्था से को विषम परिस्थितियों में बचाने की आवश्कता हैं । श्री अहमद ने आगे बताया कि प्रतिवर्ष पुस्तकों में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि कंपनी के द्वारा किया जाता है जिसका बोझ पलकों पर पड़ता है राजनांदगांव शहर की एक बुक डिपो से बात करने पर पता चला कि हर वर्ष पुस्तकों में वृद्धि पब्लिशर्स पुस्तक कंपनी की सांठगांठ से प्राइवेट स्कूलों को प्रति पुस्तक 25 प्रतिशत व बुक डिपो है 10 से 15 प्रतिशत प्राइवेट स्कूलों को जाता है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 400 की पुस्तक से प्राइवेट स्कूल को कमीशन के रूप में 160 मिलता है जबकि उस पुस्तक कि कास्ट लिया जाए तो उक्त पुस्तक की कीमत सिर्फ 200 रुपये होगा लेकिन कमीशन की खेल बाजी में उक्त पुस्तक की कीमत बुक डिपो तक पहुंचते ही 400 रुपए का आंकड़ा पार कर जाता है । परवेज अहमद पप्पू ने इस विषय पर चिंता करते हुए शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों, बुक डिपो और पुस्तक कंपनी पर अंकुश लगाते हुए उचित कानूनी कार्यवाही की मांग की है ।