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राजनांदगांंव : राशन की कालाबाजारी रोकने सूचना तंत्र विकसित किया जाए – किशोर माहेश्वरी

O पीडीएस खाधान्न की कालाबाजारी रोकने, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी ने पत्र लिखकर दिया सुझाव.

O खाद्यान्न वितरण के समय पीडीएस हितग्राहियों को वितरित किए गए खाद्यान्न की निर्धारित मात्रा और उसके मूल्य की जानकारी सुनिश्चित करने सूचना तंत्र या पोर्टल विकसित करने की, की माँग.

राजनांदगाँव/हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हितग्राहियों को प्रदाय किए जाने वाले खाद्यान्न की निर्धारित मात्रा और उसके एवज में लिए जाने वाले निर्धारित मूल्य की पारदर्शिता सुनिश्चित करने एक सूचना तंत्र या पोर्टल विकसित करने का सुझाव दिया है, जिसमे पंजीकृत मोबाईल नंबर पर हितग्राहियों को सूचना प्राप्त हो सके कि, वर्तमान माह में उनके लिए खाधान्न की कितनी मात्रा निर्धारित की गई है और उसके एवज में उनसे कितना मूल्य लिया गया।

      उक्ताशय की जानकारी देते हुए हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी ने बताया कि, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पूरे देश और प्रदेश के लाखों गरीब और सामान्य परिवारों को उनकी सदस्य सँख्या के आधार पर खाद्यान्न वितरीत किया जाता है। इस सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अधिसूचित क्षेत्र के अनुसार चाँवल, गेहूँ, चना, नमक, केरोसिन तेल, गुड़, शक्कर इत्यादि का वितरण किया जाता है। हितग्राहियों को जब खाधान्न वितरित किया जाता है उस दौरान पारदर्शिता के लिए बायोमैट्रिक जैसी प्रक्रिया तो अपनाई जाती है किन्तु हितग्राहियों को खाधान्न की कितनी मात्रा, कितने मूल्य के एवज में प्रदान की गई है। यह स्पष्ट नहीं हो पाता। जो कि, योजना की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कमियों को उजागर करती है। अगर इन बची खुची कमियों को दूर कर लिया जाए तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली देश की सबसे अच्छी योजना साबित हो पाएगी।

    कोरोना संक्रमण की भीषण आपदा के बाद सरकार हितग्राहियों को राहत प्रदान करने के लिए तरह – तरह की स्कीम लाती रहती है। जिसकी जानकारी हितग्राहियों को नही होती। कई बार समाचार पत्रों या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी इसकी जानकारी नही मिल पाती, कई बार जानकारी तो प्रसारित होती है, लेकिन हितग्राही उसे देखने या सुनने से चूक जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में उचित मूल्य की दुकान के संचालक की बाँछे खुल जाती है, हितग्राहियों को इसकी जानकारी न हो पाने का अनुचित लाभ उठाते हुए उचित मूल्य की दुकान का संचालक हितग्राहियों को अँधेरे में रखकर खाधान्न वितरण में हेरफेर और गड़बड़ी भी कर सकता है। ऐसी स्थिति में यह कैसे सुनिश्चित हो पायेगा कि, हितग्राहियों को शासन द्वारा कौन सी योजना के तहत खाधान्न प्रदाय किया जा रहा है, उसकी निर्धारित मात्रा और मूल्य कितना है ? खाद्यान्न का वितरण पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है अथवा नही ? इसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के कोई ऐसा तंत्र या पोर्टल विकसित किया जाए जिससे हितग्राहियों तथा शासन को भी यह सुनिश्चित हो सके कि, हितग्राही को निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न का वितरण कर दिया गया है, और इसके एवज में उनसे निर्धारित मूल्य ही लिया गया है। जिसको सुनिश्चित करने किसी तंत्र, प्रणाली या पोर्टल को विकसित किया जाए, जिसमें हितग्राहियों के मोबाईल नम्बर का पंजीकरण सुनिश्चित हो सके और पंजीकृत मोबाईल नं. – पर मैसेज के माध्यम से एक सूचना प्रेषित की जाए। जिसमें यह दर्शाया जाए कि, अमुख हितग्राही को कितनी मात्रा में खाद्यान्न का वितरण किया गया और उसके एवज में उनसे कितना मूल्य लिया गया है। तो इससे इस योजना की पारदर्शिता भी बनी रहेगी और खाधान्न की कालाबाजारी को भी रोका जा सकेगा। 

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