मार्च का महीना जाते जाते भी किसानों को करारी चोट दे गया। मार्च के दूसरे सप्ताह में हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसान अभी अपनी फसल को संभाल भी न पाए थे कि इस अंतिम सप्ताह में फिर से मौसम की मार पड़ी। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते दो दिनों से प्रदेशभर में हुई बारिश, ओलावृष्टि एवं तेज हवा ने फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बरसात और तेज हवाओं का यह दौर शनिवार से अगले दो दिनों के लिए थम सकता है। इसके बाद फिर दो दिन तक बारिश व तेज हवाओं की आशंका जताई जा रही है।
बारिश रुक रुक पूरे प्रदेश में हो रही है। पूर्वांचल में कहीं बृहस्पतिवार से तो कहीं शुक्रवार सुबह से तेज बारिश हुई। उधर अवध क्षेत्र में भी यही हाल है। पश्चिमी उप्र में जमकर बारिश तथा तेज हवा चली। कई जिलों में ओले भी गिरे। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक तीन और चार अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तेज बरसात हो सकती है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, प्रदेश में पिछले 24 घंटे में औसतन 2.7 मिमी बरसात रिकार्ड हुई है। इसमें सर्वाधिक बरसात गौतमबुद्ध नगर में 21 मिमी रिकार्ड की गई। जबकि बागपत में 16.7 मिमी, मुजफ्फरनगर में 15.9, मेरठ में 14.8 और गाजियाबाद में 14 मिमी पानी बरसा। सिद्धार्थनगर में ओलावृष्टि भी हुई। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सोनभद्र में 5.2 मिमी पानी बरसा। लखनऊ में 4.2, कानपुर में 3.9, बाराबंकी में 3.4, हरदोई में 2.1 मिमी बारिश का औसत रहा।गेहूं, सरसों तथा सब्जियों की फसल को भारी नुकसानइस बारिश से गेहूं, सरसों तथा सब्जियों की फसल को भारी नुकसान हुआ है। दरअसल अभी तो किसान मार्च के दूसरे सप्ताह में हुई बारिश के नुकसान से ही परेशान थे कि एक और आपदा शुरू हो गई। उधर 13 जिलों में फैली हुई आम की फसल को भी इस बारिश से नुकसान हुआ है। आम पर इस बार बौर अच्छा था पर अब नुकसान हो रहा है। पहले तेज हवा से बौर गिरा। रही सही कसर बारिश और ओलावृष्टि ने पूरी कर दी।आम पर मुसीबत, फिर से खर्रा रोग का खतरालगातार नमी बनने से आम की फसल पर खर्रा रोग का खतरा मंडरा गया है। लखनऊ के आम उत्पादक अहसान कहते हैं कि आम की फसल में यह समय बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन इस बारिश हवा से नुकसान पहुंचा है। ऑल इंडिया मैंगो एंड फ्रूट्स डेवलेपर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जुनैद फरीदी कहते है कि यह समय आम परागण और फल बनने की महत्वपूर्ण अवस्था का है। ऐसे में बौर गिर रहा है।असली परिणाम एक सप्ताह में सामने आ जाएगा। वातावरण में नमी बढ़ने से फलों और फूलों में एंथ्रेक्नोज के प्रकोप की समस्या बढ़ गई है। यह एक फफूंद जनित रोग है जिससे बौर और पत्तियां तक को नुकसान होता है। खर्रा रोग से फसल उबर चुकी थी, लेकिन फिर से यह बारिश हुई तो समस्या बन सकती है। मिट्टी के अंदर छिपे हुए कीट भी बारिश होते ही फसल पर हमला बोलेंगे। आम के नए कल्लो पर भुनगे का प्रकोप बढ़ सकता है।लखनऊ में सात मिमी बरसातराजधानी में बृहस्पतिवार देर रात से शुरू हुई बारिश शुक्रवार सुबह तक जारी रही। इस दौरान सात मिमी. पानी गिरा। इसके बाद धूप खिली तो लगा कि मौसम खुल जाएगा, लेकिन फिर घने बादल छा गए। देर शाम करीब छह बजे हजरतगंज समेत कई इलाकों में छुटपुट बारिश हुई। आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, शनिवार दोपहर से मौसम सामान्य होने लगेगा। रविवार को लखनऊ समेत प्रदेश में मौसम शुष्क हो जाने की संम्भावना है।
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