राजनांदगांव : शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के दृष्टिगत शासन की युक्तियुक्तकरण की नीति उपयोगी एवं कारगर साबित होगी

– शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता, बच्चों की दर्ज संख्या के अनुपात में होनी चाहिए
– अतिशेष शिक्षकों का शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय शालाओं में किया जाएगा युक्तियुक्तकरण
राजनांदगांव। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के दृष्टिगत शासन की युक्तियुक्तकरण की नीति उपयोगी एवं कारगर साबित होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता, बच्चों की दर्ज संख्या के अनुपात में होनी चाहिए। प्रदेश की विभिन्न स्तर की शालाओं में सैकड़ों शिक्षक अतिशेष हैं। शालाओं एवं शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जाना छात्र हित में उचित है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों में एक ही परिसर में अथवा निकट में दो या दो से अधिक शालाएं संचालित हैं, ऐसे शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। साथ ही अतिशेष शिक्षकों का शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय शालाओं में युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। शासन के निर्देशानुसार शालाओं एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई की जा रही है।
प्रदेश में लगभग बड़ी संख्या में विभिन्न विद्यालयों का संचालन एक ही परिसर में हो रहा है। एक ही परिसर में संचालित विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता की दृष्टि से किया जाएगा। जिसमें एक ही परिसर में संचालित दो या दो से अधिक प्राथमिक विद्यालयों, एक ही परिसर में संचालित दो या दो से अधिक पूर्व माध्यमिक विद्यालयों, एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों, एक ही परिसर में संचालित पूर्व माध्यमिक एवं हाईस्कूल विद्यालयों, एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक एवं हाईस्कूल, एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों, एक ही परिसर में संचालित हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया जाएगा।
कम दर्ज संख्या वाले शालाओं का युक्तियुक्तकरण अंतर्गत 10 से कम दर्ज संख्या वाली प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओं का निकटस्थ शालाओं में समायोजन किया जायेगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्र एवं दूरस्थ वनांचल के विद्यालयों के लिए युक्तियुक्तकरण हेतु निर्धारित मापदण्ड के बावजूद जिला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर का यह विवेकाधिकार होगा कि वे ऐसे विद्यालयों का स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये युक्तियुक्तकरण पर विचार कर सकेगें। एक ही स्तर के दो विद्यालय जिनके बीच की दूरी कम हो तथा दर्ज संख्या भी कम हो, उनका समायोजन किया जायेगा। ऐसी शालाओं की परस्पर दूरी शहरी क्षेत्र में 500 मीटर तथा दर्ज संख्या 30 से कम एवं ग्रामीण क्षेत्र में दूरी 1 किलोमीटर से कम तथा दर्ज संख्या 10 से कम हो का युक्तियुक्तकरण किया जाएगा।