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New Makan Rule 2025: केंद्र सरकार ने लागू किये किराए पर मकान देने वालों के लिए नए नियम, जाने जानकारी

New Makan Rule 2025: केंद्र सरकार ने लागू किये किराए पर मकान देने वालों के लिए नए नियम, जाने जानकारी  केंद्र सरकार ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब किराए पर दी गई संपत्ति से प्राप्त आय पर टैक्स कटौती (TDS) की सीमा को मौजूदा 2.4 लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर 6 लाख रुपये वार्षिक कर दिया गया है। यह नया नियम नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है। इस फैसले से देश भर के लाखों मकान मालिकों और छोटे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी। विशेष रूप से वे लोग जो अपनी संपत्ति किराए पर देकर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं, उन्हें अब टैक्स से संबंधित अनुपालन का बोझ कम करने में मदद मिलेगी।

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New Makan Rule 2025: वित्त मंत्री की बजट घोषणा का प्रभाव

वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किराए पर स्रोत पर कर कटौती (TDS) की वार्षिक सीमा बढ़ाने की घोषणा की थी। इस महत्वपूर्ण घोषणा के पीछे मुख्य उद्देश्य TDS के लिए उत्तरदायी लेनदेन की संख्या कम करना और छोटे भुगतान लेने वाले करदाताओं को राहत प्रदान करना था। सरकार का यह कदम छोटे और मध्यम मकान मालिकों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जिन्हें पहले 2.4 लाख रुपये से अधिक किराये पर TDS का भुगतान करना पड़ता था। अब यह सीमा बढ़कर 6 लाख रुपये वार्षिक होने से, इस श्रेणी के अधिकांश मकान मालिक TDS के दायरे से बाहर हो जाएंगे।

New Makan Rule 2025 :आयकर अधिनियम की धारा 194-I क्या कहती है?

आयकर अधिनियम की धारा 194-I के अनुसार, किराये के तौर पर निवासी को कोई भी राशि देते समय लागू दरों पर आयकर उस वक्त काटना चाहिए, जब किराये की आय एक वित्त वर्ष में निर्धारित सीमा से अधिक हो। पहले यह सीमा 2.4 लाख रुपये वार्षिक थी, जिसे अब बढ़ाकर 6 लाख रुपये वार्षिक कर दिया गया है। सरल शब्दों में, अब किरायेदार को मकान मालिक के किराये से TDS तभी काटना होगा जब वार्षिक किराया 6 लाख रुपये से अधिक हो, या मासिक किराया 50,000 रुपये से अधिक हो। यह प्रावधान न केवल व्यक्तिगत करदाताओं पर बल्कि अविभाजित हिंदू परिवार (HUF) के अलावा अन्य व्यक्तियों पर भी लागू होगा।

New Makan Rule 2025: किन परिस्थितियों में TDS कटौती अनिवार्य है?

नए नियमों के अनुसार, अगर आप जमीन, भवन, फर्नीचर, उपकरण या मशीनरी जैसी संपत्ति को किराये पर देते हैं और उससे प्राप्त वार्षिक किराया 6 लाख रुपये से अधिक है, तो किरायेदार को TDS काटना अनिवार्य होगा। उदाहरण के लिए, यदि आप अपना मकान मासिक 55,000 रुपये पर किराये पर देते हैं, तो वार्षिक किराया 6.6 लाख रुपये होगा, जो नई सीमा से अधिक है। इस स्थिति में, किरायेदार को प्रत्येक महीने किराये का भुगतान करते समय निर्धारित दर पर TDS काटना होगा। वहीं, यदि मासिक किराया 45,000 रुपये है, तो वार्षिक किराया 5.4 लाख रुपये होगा, जो नई सीमा से कम है, इसलिए इस स्थिति में TDS नहीं काटा जाएगा।

New Makan Rule 2025: मासिक 50,000 रुपये की नई सीमा का अर्थ

बजट 2025-26 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, अब किराये के रूप में आय पर TDS कटौती की सीमा बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह कर दी गई है। इसका सीधा अर्थ है कि अगर किसी संपत्ति का मासिक किराया 50,000 रुपये या उससे कम है, तो किरायेदार को किराये का भुगतान करते समय TDS नहीं काटना होगा। यह सीमा विभिन्न प्रकार की संपत्तियों जैसे आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक या कोई अन्य संपत्ति के लिए समान रूप से लागू होगी। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि मासिक किराया 50,000 रुपये से अधिक है, तो TDS कटौती अनिवार्य होगी, भले ही यह सीमा से थोड़ा ही अधिक क्यों न हो।

New Makan Rule 2025: नए नियम के लाभार्थी कौन होंगे?

इस नए नियम से सबसे अधिक लाभ मध्यम और छोटे स्तर के मकान मालिकों को होगा। विशेष रूप से वे लोग जो अपने आवासीय मकान या छोटे व्यावसायिक स्थानों को किराये पर देते हैं और जिनकी मासिक किराया आय 50,000 रुपये से कम है, वे अब TDS कटौती के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इसके अलावा, यह नियम छोटे व्यवसायियों और स्टार्टअप को भी लाभ पहुंचाएगा, जो अपने कार्यालयों के लिए जगह किराये पर लेते हैं। उन्हें अब 50,000 रुपये प्रति माह तक के किराये पर TDS नहीं काटना होगा, जिससे उनका काम आसान हो जाएगा और व्यावसायिक लेनदेन में सुविधा होगी।

New Makan Rule 2025: अनुपालन बोझ में कमी और प्रशासनिक सरलीकरण

किराये पर TDS कटौती की सीमा बढ़ाने से न केवल मकान मालिकों को वित्तीय लाभ होगा, बल्कि अनुपालन का बोझ भी कम होगा। पहले, 2.4 लाख रुपये वार्षिक से अधिक किराये पर TDS काटना अनिवार्य था, जिससे कई छोटे मकान मालिकों और किरायेदारों को TDS रिटर्न दाखिल करने और अन्य कागजी कार्रवाई का सामना करना पड़ता था। नई सीमा के कारण, इस श्रेणी के अधिकांश लोग अब इस प्रक्रिया से मुक्त हो जाएंगे। इससे आयकर विभाग पर भी प्रशासनिक बोझ कम होगा और वे बड़े करदाताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे, जिससे कर प्रशासन में दक्षता बढ़ेगी।

New Makan Rule 2025: रियल एस्टेट सेक्टर पर संभावित प्रभाव

नए TDS नियम का रियल एस्टेट सेक्टर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। किराये पर मिलने वाली आय पर बढ़ी हुई TDS सीमा से निवेशकों के लिए रियल एस्टेट निवेश अधिक आकर्षक हो सकता है। इससे किराये के मकानों की मांग बढ़ सकती है, जो रियल एस्टेट मार्केट को गति देने में मदद करेगी। विशेष रूप से, उन शहरों में जहां किराया आवास की मांग अधिक है, वहां यह नियम मकान मालिकों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन का काम करेगा। इससे न केवल आवासीय बल्कि वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए भी किराया बाजार में वृद्धि हो सकती है।

New Makan Rule 2025: करदाताओं के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

यदि आप किराये पर संपत्ति देते हैं या लेते हैं, तो नए TDS नियमों के बारे में जानना आवश्यक है। अगर आप मकान मालिक हैं और आपकी मासिक किराया आय 50,000 रुपये से अधिक है, तो आपको अपने किरायेदार से TDS कटौती के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए। वहीं, अगर आप किरायेदार हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि अगर मासिक किराया 50,000 रुपये से अधिक है, तो आप उचित दर पर TDS काटें और समय पर उसे जमा करें। इसके अलावा, दोनों पक्षों को किराया अनुबंध में TDS प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख करना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भ्रम या विवाद न हो।

New Makan Rule 2025: सरकार के अन्य कर सुधार

किराये पर TDS सीमा बढ़ाने के अलावा, सरकार ने हाल के वर्षों में कई अन्य कर सुधार भी लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य करदाताओं पर बोझ कम करना और कर प्रणाली को अधिक सरल और पारदर्शी बनाना है। इनमें आयकर स्लैब का युक्तिकरण, डिजिटल कर भुगतान और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया का सरलीकरण, और विभिन्न कर छूटों और कटौतियों का तर्कसंगत बनाना शामिल है। ये सभी सुधार मिलकर करदाताओं के अनुपालन बोझ को कम करने और भारतीय कर प्रणाली को अधिक व्यापार-अनुकूल बनाने में मदद कर रहे हैं।

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डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए है और इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। हालांकि इस लेख में दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से एकत्रित की गई है, फिर भी पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी वित्तीय या कर संबंधी निर्णय लेने से पहले अपने कर सलाहकार या वित्तीय विशेषज्ञ से परामर्श करें। कर कानूनों और नियमों में समय-समय पर परिवर्तन हो सकता है, इसलिए सबसे अद्यतित जानकारी के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखें।

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