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मध्य प्रदेश

अब सरकारी महकमों में भी SC-ST उद्यमियों से भी 4% सेवाएं लेना अनिवार्य

भोपाल

मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्यमों हेतु सेवाओं के उपार्जन में अब अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के उद्यमियों से वार्षिक उपार्जन के 25 प्रतिशत में से 4 प्रतिशत सेवाएं लेना अनिवार्य होगा।

सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के सचिव पी नरहरि ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए है। अभी तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों के लिए उत्पादन संबंधी उद्योगों में तो आरक्षण था लेकिन सेवा संबंधी उद्योगों में कोई आरक्षण नहीं था। अब सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने सरकारी महकमों में विभिन्न प्रकार की सेवाएं लेने के लिए जारी होंने वाली निविदाओं में एल-1 में आने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के उद्यमियों की क्षमता के दृष्टिगत पच्चीस प्रतिशत से पचास प्रतिशत तक सेवाएं ली जा सकेंगी। सूक्ष्म एवं लघु उद्यम से सेवा के वार्षिक उपार्जन के 25 प्रतिशत में से चार प्रतिशत सेवाएं अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के स्वामित्व वाले उद्यमियों के सूक्ष्म एवं लघु द्यमों से सेवा उपार्जन के लिए चिन्हित किए जाएंगे।

ऐसे उद्यमियों के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के निविदा प्रक्रिया में भाग लेने या निविदा टेंडर की अपेक्षाओं को पूरा करने और एल-1 मूल्य तक पहुंचने में असफल रहने की दशा में अनुसूचित जाति या जनजाति के स्वामित्व वाले उद्यमियों से सेवा उपार्जन के लिए चिन्हित चार प्रतिशत या अन्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से पूरा किया जाएगा। ऐसी सेवाएं जिन्हें शासन के द्वारा प्रोत्साहन दिया जाना है, प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम तथा स्टार्ट अप जिनकी उत्पादन क्षमता इन सेवाओं के लिए शासन की मांग से दोगुना है, उन सेवाओं को उपार्जन हेतु शत प्रतिशत आरक्षित किया जा सकेगा।

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