छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : जलवायु परिवर्तन एक ज्वलंत मुद्दा है : डॉ. सुचित्रा गुप्ता

राजनांदगांव । दिग्विजय कॉलेज में प्राणी शास्त्र विभाग द्वारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के द्वितीय दिवस पर मुख्य वक्ता असिस्टेंट डायरेक्टर, आईसीएआर रांची, झारखंड, डीआर. किशोर कृष्णानी ने भारी तत्वों व नैनो व माइक्रो प्लास्टिक विषय पर अपने गहन अध्ययन को साझा करते हुए बताया कि नैनो प्लास्टिक व माइक्रो प्लास्टिक हमारे खाद्य पदार्थों में बहुतायत मात्रा में शामिल है जिसको हम प्रतिदिन कई मात्रा में ग्रहण कर रहे हैं हमारे खाद्य सामग्री दूध पैकेट, पानी की बोतल के माध्यम से हमारे शरीर के अंदर कई प्रकार के दुष्प्रभाव डाल रहे हैं । उन्होंने कहा कि माइक्रो प्लास्टिक श्वेत प्रदूषण है ।
वरिष्ठ वैज्ञानिक सीपीपीआरआई, सहारनपुर उ.प्र. डॉ. प्रीति शिवहरे लाल ने कागज़ का पुनर्चक्रण और एकल-उपयोग प्लास्टिक को कम करना ही सतत विकास का मार्ग है इस विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रस्तुत करते हुए बताया कि कागज पर्यावरण के लिए सर्वाधिक स्थिर उत्पादो में से एक है । पेपर हमारे प्रकृति और पर्यावरण के लिए सहयोगी है । पेपर बायोडिग्रेडेबल व पुनर्चक्रणीय है ।
सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, दोआन पौला, गोवा, वैज्ञानिक समुद्र विज्ञान, डॉ. अश्विनी कुमार ने उत्तर भारतीय महासागर में जैविक उत्पादकता और समुदाय पर वायुमंडलीय धूल की आपूर्ति का प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया ।
गुरु नानक कॉलेज ऑफ साइंस बल्लारपुर महाराष्ट्र केमाइक्रोबायोलॉजी विभाग, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर प्रफुल्ल काटकर, ने संभावित कैंसर रोधी एजेंट के रूप में मानव डीएनए टोपोआइसोमेरेज़ अवरोधक के सम्बंध में अपना अध्ययन को साझा करते हुए बताया कि टोपोआइसोमरेज प्रमुख एंजाइम है जो डीएनए स्ट्रैंड के टूटने और फिर से जुड़ने के माध्यम से डीएनए की टोपोलॉजिकल स्थिति को नियंत्रित करते हैं ।
डिपार्टमेंट ऑफ़ फॉरेस्ट्री, कोहिमा, नागालैंड, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. मयूर मौसूम फुकन, ने जैव ऊर्जा अनुसंधान के विषय में विस्तार देते हुए कहा कि जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग के चलते इसका भंडारण समाप्ति की ओर है आईईए के अनुसार 2050 तक वैश्विक ऊर्जा का मांग बढ़ जाएगा । भविष्य का आधार है ऊर्जा, ऊर्जा का अति दोहन को रोकना भविष्य के लिए अति आवश्यक है ।
हिस्लोप कॉलेज नागपुर, महाराष्ट्र, प्राणी शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. आशीष झा, ने सतत विकास के लिए मधुमक्खी पालन विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया साथ ही उन्होंने बताया मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए तथा वर्तमान में मधुमक्खी पालन में हो रहे हैं तकनीकी विकास से शोधार्थी को अवगत कराया ।
प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता ने सत्र की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन एक ज्वलंत मुद्दा है । यहां सेमिनार स्वयं के लिए समाज और देश के लिए हितकारी साबित होगा ऐसा मेरा विश्वास है । सेमिनार संयोजक डॉ. किरण लता दामले प्रथम दिवस के कार्यक्रमों की समीक्षात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया । इस कार्यक्रम में विभागीय प्रध्यापक डॉ. संजय ठिस्के, डॉ. माजिद अली, प्रो. गुरप्रीत भाटिया एवं चिरंजीवी पांडेय सहित सेमिनार में देश-विदेश के विद्वान प्रतिभागी एवं विद्यार्थीगण हाइब्रिड मोड़ से जुड़े थे । सेमिनार का संचालन प्रियंका सिंह और वंदना मिश्रा ने किया । प्राणी शास्त्र विभाग के विद्यार्थियों के द्वारा अतिथियों के लिए सत्र के समापन अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी ।

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