पंजाब में चुनावी माहौल के बीच 1993 के दिल्ली बम विस्फोट के दोषी दविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई को लेकर इन दिनों सियासत बेहद गर्म है। चुनाव में यह मुद्दा न बने इसको लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बड़ा फैसला ले सकते हैं। भुल्लर की रिहाई को लेकर अब तक शिरोमणि अकाली दल सहित कई सिख संगठन मांग कर चुके हैं। यहां तक कि शिअद संरक्षक प्रकाश सिंह बादल भी कोरोना संक्रमित होने के दौरान भुल्लर की रिहाई को लेकर अरविंद केजरीवाल पर सियासत करने का आरोप लगा चुके हैं।
1994 से जेल में बंद भुल्लर की स्थायी रिहाई का अनुरोध सिख निकायों द्वारा दिल्ली की आप सरकार के पास लंबित है। इस मांग को अन्य राजनीतिक दलों द्वारा भी तेजी से उठाया गया है। मार्च 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा के खिलाफ भुल्लर की अपील को खारिज कर दिया था। भुल्लर की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने को लेकर भुल्लर के परिवार और सिख निकायों ने अभियान भी चलाया। इस दौरान समर्थन भी मिला।
2013 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भुल्लर की मौत की सजा को कम करने के लिए कहा था। अक्तूबर 2019 में केंद्र सरकार ने गुरु नानक देव की 550 वीं वर्षगांठ पर भुल्लर सहित आठ सिख कैदियों की रिहाई के लिए एक विज्ञप्ति जारी की थी। केंद्र ने संबंधित राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों से केंद्र के परामर्श से इस मामले में छूट देने को कहा था। हालांकि, 2020 में दिल्ली सरकार के रिव्यू बोर्ड ने भुल्लर की स्थायी रिहाई के अनुरोध को तीन बार खारिज कर दिया। इसके बाद अब एक बार फिर पंजाब चुनाव के बीच भुल्लर की रिहाई का मुद्दा गरमा गया है। विपक्ष के साथ ही कई सिख संगठन इसको चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। साथ ही आप के कार्यक्रमों का विरोध भी कर रहे हैं। हाल ही में अमृतसर में चुनावी कार्यक्रम के दौरान अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कई सिख संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। इसके बाद यह तय माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार चुनाव में पार्टी को कोई नुकसान न हो इसलिए भुल्लर की रिहाई को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है।
केजरीवाल केंद्र के पाले में फेंकना चाहते हैं गेंद
अरविंद केजरीवाल भुल्लर की रिहाई को लेकर केंद्र सरकार के पाले में गेंद फेंकना चाहते हैं। हाल ही में उन्होंने भुल्लर की रिहाई को लेकर यह बयान दिया था कि उन्होंने गृह सचिव से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि भुल्लर की रिहाई का मुद्दा अगली बैठक में लाया जाए। इसके बाद फाइल अंतिम मंजूरी के लिए उपराज्यपाल (एलजी) के पास भेज दी जाएगी। इसके पीछे की वजह केजरीवाल ने बताते हुए कहा है कि दिल्ली की कानून और व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन नहीं आती है।
23 जनवरी को बादल ने उठाया था मुद्दा
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 23 जनवरी को भुल्लर की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को घेरा था। बादल ने कहा था कि पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के बड़े हित में भुल्लर को रिहा किया जाए। इधर, सिख संगठन यह आरोप लगा रहे हैं कि मौजूदा समय में करीब 9 कैदी ऐसे हैं जो 25-30 साल से सजा काटने के बाद भी देश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं। अगर बंदियों की रिहाई पर केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो भाजपा प्रत्याशियों की घेराबंदी शुरू करने का फैसला लिया जाएगा।
भुल्लर के मामले में सजा समीक्षा बोर्ड बैठक के विवरण शिअद ने किए जारी
शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रो. दविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई की प्रक्रिया के साथ कोई संबंध न होने के किए दावे पर सजा समीक्षा बोर्ड के मेंबरों तथा प्रो. भुल्लर के बारे में हुई इसकी मीटिंग की कार्रवाई को सोमवार को सार्वजनिक कर दिया।
पार्टी मुख्यालय में अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के प्रमुख सलाहकार हरचरण सिंह बैंस ने बताया कि केजरीवाल बार-बार यह दावा करके पंजाबियों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका प्रो. भुल्लर की रिहाई के बारे में फैसला लेने वाले सजा समीक्षा बोर्ड के साथ कोई संबंध नहीं है, जबकि असलियत यह है कि इस बोर्ड के चेयरमैन दिल्ली के गृहमंत्री सतेंद्र जैन हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड के कुल 7 सदस्य हैं, जिनमें से 5 का सीधा संबंध केजरीवाल के साथ है। गृहमंत्री के अलावा गृह विभाग के प्रमुख सचिव बीएस भल्ला, दिल्ली सरकार के डीजीपी जेलों, संदीप गोयल दिल्ली सरकार के कानून तथा न्याय विभाग के प्रमुख मुखिया, संजय कुमार अग्रवाल तथा दिल्ली सरकार ने समाज भलाई विभाग के डायरेक्टर रश्मि सिंह इसके सदस्य हैं। इसके अलावा बोर्ड के दो अन्य सदस्य दिल्ली के अतिरिक्त न्यायाधीश सतीश कुमार तथा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर द्वारा नामजद डीसीपी राजेश देव हैं।
11 दिसंबर को हुई थी बैठक
बैंस ने बताया कि इस बोर्ड की 11 दिसंबर, 2020 को दिल्ली सचिवालय में एक बैठक हुई थी। इसमें भुल्लर के मामले पर विचार किया गया था। उन्होंने इस बैठक में भुल्लर की रिहाई के लिए मंजूरी देने से साफ इनकार कर दिया, हालांकि बैठक में यह भी चर्चा हुई कि इस बैठक तक प्रो. भुल्लर 23 साल 9 महीने की सजा काट चुके हैं।