मध्य प्रदेश

वन विभाग ने शुरू की वन समितियों और क्षेत्रीय इकाइयों को जोड़ने की पहल

भोपाल

प्रदेश की जैव विविधता एवं पर्यावरण को संवारने के लिए वन विभाग पहले से कहीं ज्यादा संवदेनशील हो गया है। वर्ष 2008 में  वन अधिकार नियम लागू होने के बाद वन क्षेत्रों में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन गई है। सागोन  और खैर की बाजार में बढ़ती मांग के चलते अवैध कटाई का काम जंगलों में ज्यादा होने लगा हैं।  वन भूमि और जंगलों को  अवैध कटाई से बचाने के  लिए विभाग आटिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को अपनाने के लिए मंथन कर रहा है।

विभाग का दावा है कि अगर इस तकनीक को धरातल पर उतार लिया जाता है तो आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह तकनीक बहुत ही कारगर साबित होगी।  विभाग  वन समितियों और क्षेत्रीय इकाईयों को जोड़ने की पहल शुरू कर दी है।  विभाग का दावा है कि अगर पूरी तरह से यह समितियां एक्टिव मोड में आ गई तो जंगलों की कटाई पर बहुत आसानी से  विराम लगाया जा सकता है। प्रदेश में 30.1 फीसदी भू-भाग पर वन क्षेत्र फैला हुआ है। अगर समय रहते हुए सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन प्रभावित हो जाएगा। वन संरक्षण शाखा इस दिशा में लगातार नए- नए प्रयोग कर रहा है। 

संरक्षण शाखा से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि  मॉनिटरिंग सिस्सटम को पहले से ज्यादा मजबूत बनाया जा रहा है। संवदेनशील वन एरिया में विभाग के  अधिकारी और कर्मचारी लगातार नाइट पेट्रोलिंग कर रहे हैं।  साथ ही जंगल में लगी आग की जानकारी के लिए विभाग  ने  अलर्ट मैसेज टवेंटी इंटू सेवेन डे एक्टिव किया है। जंगल में अगर कहीं पर भी आग लगती है तो इसकी जानकारी विभाग को तुंरत मिल जाएगा। जिससे समय रहते हुए आग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

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डिवीजन स्तर पर टोल फ्री नंबर
वन माफियाओं से जंगलों  की बेशकीमती लकड़ी और जानवरों के शिकार को रोकने को लेकर विभाग आधुनिक तकनीक से लेकर परंपरागत तरीकों का प्रयोग करने में पीछे नहीं है। डिवीजन स्तर पर विभाग टोल फ्री नंबर जारी करने जा रहा है। जिससे आम आदमी जंगलों में हो रही अवैध कटाई की जानकारी टोल फ्री नंबर पर दे सकें। जंगलों के घनत्व को बढ़ाने के लिए विभाग इस तरह का प्रयोग कर रहा है। जिससे अवैध कटाईपर विराम लगाया जा सकें। कैंपा फंड की मदद से वन विभाग 2500 हजार फारेस्ट गॉडों को मोबाइल मुहैया कर चुका है।

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