छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.आर.रामचन्द्र मेनन ने आज देश के पहले ई-लोक अदालत का उद्घाटन करते हुए कहा कि नोवल कोरोना वायरस के इस कठिन दौर में न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का निराकरण करने और पक्षकारों को राहत पहुंचाने के लिये ई-लोक अदालत एक नोबेल विचार और नोबेल पहल है।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा आज आयोजित ई-लोक अदालत का उद्घाटन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जजों के कान्फेंस रूम में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मेनन ने किया। राज्य के 23 जिलों के सभी न्यायालय, पक्षकार, अधिवक्ता वीडियो कान्फें्रसिंग के माध्यम से उद्घाटन समारोह से जुड़े। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी देश भर में इसे देखा गया। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मेनन ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते किये गये लाॅकडाउन में सार्वजनिक विभाग ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। न्याय व्यवस्था भी इससे प्रभावित हुई है। अधिवक्ता और पक्षकार भी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। लाॅकडाउन के दौरान न्यायालयों की गतिविधियां ठप्प पड़ गई हैं। इसके कारण हमारे द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश को रद्द करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में 5212 से अधिक केस फाईल किये गये। हाईकोर्ट में 3956 मामलों का निपटारा किया गया।
निराकृत मामलों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं, जिनकी सुनवाई पिछले 5 सालों से ज्यादा समय से चल रही थी। जिला और निचली अदालतों में भी उनकी आधारभूत संरचनाओं के मान से अच्छा काम हुआ। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में अकेले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 45 हजार से अधिक मामले फाईल किये गय और 39 हजार से अधिक मामलों का निराकरण किया गया। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी का दौर शुरू होने से पहले जनवरी से लेकर मार्च तक 10 हजार 639 मामले दायर किये गये, जिनमें से 8 हजार 736 मामलों में फैसला दिया गया।
जस्टिस मेनन ने कहा कि ई-लोक अदालत प्रदेश भर में लगाई जा रही है। यह महत्वपूर्ण है। लाॅकडाउन के कारण सभी गतिविधियों प्रभावित हुई हैं, इससे न्यायिक क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। ऐसी स्थिति में ई-लोक अदालत एक प्रयास है कि हम मुकदमे से जुड़े लोगों की तकलीफों को कम कर सकें।