UP : गोरखपुर में आस्था का हुआ विसर्जन: जमकर नाचे फिर पोखरे में गिराईं प्रतिमाएं…और मच गई नोच-खसोट
लंबे इंतजार और तैयारी के बाद नौ दिन मां दुर्गा की आराधना… और अंत में ऐसी विदाई। घाटों पर विसर्जन के दौरान प्रतिमाओं की बेकद्री, उनके पोशाक और आभूषण की लूट, पैरों तले पूजन सामग्री और चढ़ावे की रकम के लिए मारपीट आस्था से खिलवाड़ करते ये दृश्य मन उद्धेलित करने वाले थे। जमकर नाचने के बाद पोखरे में प्रतिमाओं को गिराना और उसके बाद उन पर लगे कीमती सामान को लेकर मची नोच-खसोट को लेकर श्रद्धालुओं में भी चर्चाएं रहीं। शहर की प्रतिमाओं के विसर्जन लिए राजघाट पुल के पास के तीन पोखरे बनाए गए। बुधवार की दोपहर यही कोई दो बजने वाला था। पोखरों में पटी प्रतिमाओं से साड़ी, गहने, लकड़ी सहित अन्य सामान निकालने की होड़ मची थी। इसी दौरान पिकअप पर प्रतिमा लेकर नाचते गाते युवक पहुंचे। एक विशेष पूजा समिति के पोशाक में आने वाले युवकों का पूजापाठ से ज्यादा जोर नाचने-गाने पर था। तभी अचानक एनाउंस हुआ…जिन्हें नाचना है आकर नाच लें। फिर एक साल बाद ही मौका मिलेगा। फिर क्या था। दो मिनट में आरती, पूजापाठ की औपचारिकता निपटाकर सभी नाचने-गाने में जुट गए। करीब आधे घंटे के बाद प्रतिमा को घाट पर ले गए। वहां बने प्लेटफार्म से सीधे पोखरे में गिरा दिया। कोई निकाल रहा नथिया तो कोई खोज रहा पैसे घाट पर प्रतिमाओं और कलश सहित अन्य पूजन सामग्री को लूटने की होड़ मची रही। प्रतिमाओं की साजोसामान और नथिया निकालने के लिए एक-दूसरे से जूझते देखे गए। इस रुपये की तलाश भी होती रही। अमरूतानी के लिए नागेश्वर ने बताया कि लोग प्रतिमा में सोने की नथिया पहनाते हैं। इस उम्मीद में बच्चों से लेकर बड़े पोखरे और नदी में गोता लगाते हैं। इस दौरान दो बच्चों में रुपये के बंटवारे को लेकर मारपीट शुरू हो गई। पता चला कि 15 रुपये मिले थे। लेकिन एक ने दूसरे को सिर्फ दो रुपये ही दिए। कूड़े की तरह निकाले जा रहे थे अवशेष, 10 रुपये में बिकेगी गगरीविसर्जन स्थल पर नगर निगम की जेसीबी और अवशेष उठाने के लिए गाड़ियां लगी रहीं। पोखरे के भरने पर जेसीबी से लकड़ी सहित अन्य सामान निकालकर बाहर रखा जा रहा था। बाहर निकालते ही सामान बीनने वाले टूट पड़े। कुछ बेचने की तैयारी में थे तो कुछ घरों में उपयोग के लिए। कलश इकट्ठा कर रहे अमरूद मंडी के किबुल इस्लाम ने बताया कि वह रात से करीब तीन सौ कलश निकाल चुके हैं। इसे वह 10 रुपये में बेच देंगे। वस्त्र बटोर रही बहरामपुर की मेवाती ने कहा कि साफ सुथरेे कपड़े हैं। इसका इस्तेमाल तकिये के खोल ओर ओढ़ना बनाने में करेंगी। कुछ महिलाएं और बच्चे बांस सहित ढांचा का अन्य सामान ले जाते नजर आए। चारों और फैला पूजा पाठ का सामानमां दुर्गा की प्रतिमाओं के संग लोग पूजन सामग्री, देवी-देवताओं की मूर्तियां और धार्मिक पुस्तकें ले जा रहे हैं। विसर्जन के बाद प्रतिमा के साथ सारा सामान कूड़े की तरह फैला दिया गया। नौ दिनों तक जिनकी पूजा हुई उन्हें पैरों से रौंदा गया। गुरु गोरक्षनाथ घाट पर छोड़ दी पूजन सामग्रीछोटी प्रतिमाओं का विसर्जन गुरु गोरक्षनाथ घाट पर किया गया। दोपहर करीब सावा तीन बजे प्रतिमा का विसर्जन कराने श्रद्धालु पहुंचे। यहां पूजापाठ के बाद पुरुषों ने नदी में प्रतिमा को प्रवाहित कर दी। पूजा पाठ का सामान घाट पर ही छोड़ दिया गया। शास्त्रों में विसर्जन की यह है प्रक्रियाजानकारों की मानें तो शास्त्रीय विधि के अनुसार मूर्ति, पंच महाभूतों से बनी होती है। इसलिए इसे पंच महाभूतों में विलीन कर देना ही मूर्ति विसर्जन कहलाता है। शास्त्रों में इसकी प्रक्रिया है। प्रतिमा चाहें दुर्गा की हो या गणेश की। उसे पानी में लेकर उतरते हैं। फिर धीरे-धीरे जल में अर्पित कर देते हैं। विसर्जन के दौरान इस बात का